विज्ञान के माध्यम से खोज करने वाले आरआर कैट के वैज्ञानिकों ने स्वयं को जानने के लिए आध्यात्मिक कावड़ यात्रा की

 



मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित राजा रमन्ना सेंटर ऑफ़ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने विज्ञान से की खोजों से हटकर स्वयं को जानने के लिए तीन दिवसीय कांवड़ यात्रा संपन्न की।

राजा रमन्ना सेंटर ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के 150 वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने ओंकारेश्वर से नर्मदा जल लेकर तीन दिवसीय कांवड़ यात्रा कल सायं कैट परिसर इंदौर में स्थित सुखेश्वर महादेव का अभिषेक कर पूर्ण की।


यात्रा के संयोजक तथा कैट के साइंटिस्ट धीरज कुमार वर्मा ने बताया कि उक्त कावड़ यात्रा 22 जुलाई को ओम्कारेश्वर से सामूहिक संकल्प और आरती के उपरांत आरंभ हुई । खरगोन जिले के बड़वाह में रात्रि विश्राम के उपरांत अगले दिन सुबह सामूहिक संकल्प और आरती के साथ यात्रा आगे बढ़ी और बाई ग्राम स्थित शासकीय स्कूल में रात्रि विश्राम किया गया। उन्होंने बताया कि 24 जुलाई को यात्रा आरआर कैट परिसर में पहुंचकर जलाभिषेक के साथ संपन्न हुई।


उन्होंने बताया कि उक्त यात्रा 2007-08 से आरंभ हुई थी तब यह काफी अव्यवस्थित थी और केवल 12 ही वैज्ञानिक इसमें शामिल थे। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़कर 150 हो गई है। यात्रा के साथ सामान के लिए एक वाहन व पांच दुपहिया वाहनों में 10 स्वयंसेवक चलते हैं जो कावड़ यात्रियों का ध्यान रखते हैं। इस यात्रा के पूर्व ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण कर समस्त कावड़ यात्रियों की आवश्यक जानकारी एकत्र की जाती है ,और उन्हें आईडी कार्ड प्रदान किया जाता है।



उन्होंने वैज्ञानिकों के आध्यात्मिक रूप ग्रहण करने को लेकर स्पष्ट किया कि विज्ञान के माध्यम से चीजों की खोज होती है जबकि अध्यात्म के माध्यम से स्वयं की। उन्होंने कहा कि विज्ञान सीमित है जबकि ईश्वर असीमित है ,और उसे पाने के लिए जिस शक्ति से जुड़ना जरूरी है उसके लिए आस्था आवश्यक है।

वैज्ञानिक सतीश बाथम, संजय कुमार प्रजापति, दीवान सिंह लोधी और सुदर्शन पटवा भी उक्त यात्रा में सक्रिय रूप से शामिल थे।

उल्लेखनीय है कि चंद्रमा पर भारत के तीसरे मिशन से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने इसकी सफलता के लिए तिरुपति मंदिर में पूजा-अर्चना की थी।

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