जयस ने की महू के अंबेडकर विश्वविद्यालय में कुलपति और कुलसचिव के रूप में सिर्फ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों की नियुक्ति की मांग

 डॉ. भीम राव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू में आए दिन संघ और राजनैतिक दलों के कार्यक्रम होते हैं और यहां पर राजनीतिक संगठन दिनों दिन पनपते जा रहे हैं जिसको लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय से महू जयस अध्यक्ष भीमसिंह गिरवाल चर्चा करने गए थे एक विशेष मुद्दा था जो आज दो विद्यार्थी के बीच हाथापाई हुई थी जिसकी जानकारी मिलते ही कुलपति महोदय को घटना से अवगत कराया गया दोनों छात्रों में एक छात्र अनुसूचित जाति का है एक छात्र मयंक झा जो सामान्य वर्ग का है मयंक झा द्वारा लोकेश खरे के साथ हाथापाई की गई । इस विषय में विश्वविद्यालय के कुलपति को जानकारी से अवगत कराने पर कुलपति का जो बर्ताव था वह कहीं ना कहीं बाबासाहेब की विचारधारा को कुचलने जैसा था और विश्वविद्यालय की मर्यादा को लांघते हुए उन्होंने आदिवासी समाज के अध्यक्ष भीम सिंह गिरवाल एवं उनके पदाधिकारियों के साथ में भदा व्यवहार किया गया जो निदनीय है विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय कहीं ना कहीं संघ और बीजेपी से तालुकात रखते हैं उनके विचारों से प्रतीत होता है कि वह दबे कुचले समाज के कल्याण के लिए काम नहीं करते हैं बल्कि यहां विश्वविद्यालय में राजनैतिक प्रोग्रामों मे विद्यार्थीयों को शामिल कर विश्व विद्यालय के आदर्श और सिद्धांतों की अवेहलना कि जा रही है जो कहीं ना कहीं विद्यालय के मूल सिद्धांतों से हटकर है महू जयस माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव जी से मैं निवेदन करता है कि ऐसे कुलपति को जल्द से जल्द हटाया जाए और अनुसूचित जाति या जनजाति के कुलपति को विश्वविद्यालय में नियुक्त किया जाए अन्यथा जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) द्वारा पूरे मध्यप्रदेश में आंदोलन किया जाएगा जिसकी संपूर्ण जवाबदारी मध्यप्रदेश शासन की रहेगी।




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