आशीष यादव धार
भगवान गणेश के जन्मोत्सव का पर्व 31 अगस्त को शहरभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। गणेश मंदिरों में जन्मोत्सव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। वहीं बाजारों में भी गणेशजी की प्रतिमाएं बनना का काम भी पूर्ण हो गई है। कारीगर भगवान गेणश की विभिन्न तरह की प्रतिमाएं बनाने में जुटे हुए हैं। दस दिवसीय गणपति महोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी है। यह महोत्सव गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्दशी तक चलेगा।
देश में गणेश चतुर्थी मनाए जाने में कुछ ही सप्ताह शेष हैं, इसलिए मूर्ति निर्माताओं के लिए यह वर्ष का सबसे व्यस्त समय है। मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रुप देने में जुटे हुए है।वे गणेश उत्सव के लिए सैकड़ों मूर्तियाँ बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं।उत्सव के लिए समय पर मूर्तियों को बनाने के लिए, वे कठिन परिस्थितियों में कड़ी गर्मी और भारी बारिश से जूझते हुए काम करते हैं।भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इस बार गणेश चतुर्थी का उत्सव बुधवार 31 अगस्त को मनाया जाएगा. जिसके 10 दिन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन महोत्सव का समापन हो जाएगा. यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है. अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा को सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं।
भगवान बैठे हुए स्वरूप में ही क्यों
गणेश चतुर्थी में, भगवान गणेश अतिथि के रूप में किसी के घर आते हैं। और हम हमेशा अपने मेहमानों को सीट देते हैं, है ना? इसलिए हर गणेश की मूर्ति को बैठे स्थान पर बनाया जाता है। वही मूर्तिकार का कहना है कि यह हमारे लिए भी अच्छा है, क्योंकि मूर्ति का पूरा भार पैरों पर आता है, जो मूर्ति के खड़े होने पर टूट सकता है।”
मूर्तिकार के अनुसार
मूर्तिकारों के अनुसार यह प्रक्रिया उत्सव के 4 से 5 माह पूर्व प्रारंभ होती है। शहर में मिट्टी की प्रतिमा को लेकर लोगों में ज्यादा उत्साह रहता है इस हेतु हमारे द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 1500 से 2000 की संख्या में मूर्तियों का निर्माण कार्य किया जाता है इसमें 6 इंच से लगाकर 2 फिट तक की मूर्तियों का निर्माण किया जाता है। मूर्तिकार हितेश प्रजापति ने बताया की उनके द्वारा मूर्ति निर्माण कार्य का लगातार 10वा वर्ष है। प्रतिवर्ष उत्सव के 2 से 3 दिन पहले ही मूर्ति की बुकिंग शुरू हो जाती है।
पर्यावरण के अनुकूल बनें
हरे गणेश मिट्टी और पेपर माचे जैसी पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बने होते हैं और प्राकृतिक रंगों से रंगे जाते हैं।
ये बायोडिग्रेडेबल, हल्के वजन वाले होते हैं और पानी को साफ रखते हैं। सजावट के लिए कपड़े या लकड़ी का उपयोग किया जा सकता है। मूर्तियों को नदियों में विसर्जित करने के बजाय कृत्रिम विसर्जन टैंक का उपयोग किया जा सकता है।
पिछली बार से इस बार ज्यादा हुई बुकिंग
प्रजापति ने बताया कि दो सालों की अपेक्षा इस बार बड़ी मूर्तियों की बुकिंग ज्यादा हुई है। जिनको अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। वहीं घरों में छोटी मूर्तियां भी बैठाई जाएगी। जिससे उम्मीद है कि इस बार अच्छी खरीदी होगी और बप्पा सभी का मंगल करेंगे। साथ ही कहा कि गणेश चतुर्थी के बाद माता जी की प्रतिमाएं निर्मित करने में लग जाएंगे क्योंकि इस बार माता जी की प्रतिमाओं की बुकिंग भी होने लगी है।
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