कोरोना वायरस महामारी के चलते महू शहर और आसपास के 13 इलाके कंटेनमेंट एरिया बनाए गए हैं। कारण यह है कि उन क्षेत्रों में कोरोना वायरस के पेशेंट पाए गए थे, इसलिए जिन-जिन लोगों से उनका संपर्क हुआ और जिन जिन लोगों को संक्रमण का खतरा हो सकता है, उन सब की गहन जांच के लिए इस तरह के कंटेनमेंट एरिया बनाए जाते हैं जिससे कि ऐसे इलाकों को पूरे तरीके से सील करके वहां पर लोगों की जांच की जा सके।
अगर महू को देखा जाए तो सांघी स्ट्रीट स्थित इलाका अभी तक इस समस्या से बचा हुआ है पर कल जब नवनिर्मित कैंटोनमेंट अस्पताल को क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया, उसके तुरंत बाद से ही सांघी स्ट्रीट के लोगों का इस बात को लेकर विरोध शुरू हो गया। विरोध का कारण यह है कि सांघी स्ट्रीट के वासियों का कहना है कि उनका इलाका अभी तक सुरक्षित है पर अब क्वॉरेंटाइन सेंटर के यहाँ आ जााने के बाद संक्रमण का खतरा उनके मोहल्ले में भी हो गया है।
अभी तक सांघी स्ट्रीट के चारों ओर स्थित दाना गली, तेली गली, छोटा बाजार, हमाल मोहल्ला, जैन गली आदि क्षेत्रों को वहां पर कोरोना पेशेंट के पाए जाने के बाद से कंटेनमेंट एरिया बनाया गया है।
अगर आप इस खबर के साथ दी गई तस्वीरों को देखेंगे तो आपको पता चलेगा की सांघी स्ट्रीट के मकानों के पीछे के हिस्से कैंटोनमेंट अस्पताल की बाउंड्री से लगे हुए हैं। अगर किसी मरीज ने गलत नियत से कोई हरकत की तो उन घरों के पीछे वाले इलाकों तक संक्रमण पहुंच सकता है।
चूंकि शहर की अन्य गलियों की तरह सांघी स्ट्रीट के घर भी एक-दूसरे से बिल्कुल चिपके हैं, बीमारी का एक घर से दूसरे घर और धीरे-धीरे करके पूरे मोहल्ले में फैलने में देर नहीं लगेगी। मोहल्ला वासियों का कहना है कि अगर प्रशासन को कैंंटोनमेंट अस्पताल को क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाना भी है तो इस बात का ध्यान रखा जाए की अस्पताल में रखे जाने वाले लोग किसी भी हालत में संक्रमण को उनके मोहल्ले में ना फैला सके।
साथ ही कुछ रहवासियों का यह भी कहना है कि क्वॉरेंटाइन सेंटर आमतौर पर उन इलाकों में बनाए जाते हैं जहां पर आबादी नहीं होती है या फिर आबादी का घनत्व बहुत कम होता है जिससे संक्रमण फैलने का खतरा भी उतना ही कम होता है पर यहां बिल्कुल उल्टा हुआ है।
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