दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणामों ने जहां आम आदमी पार्टी को तीसरी बार सत्ता की चाबी सौंप दी है. अगर पिछले दो साल पर नजर डालें तो बीजेपी और एनडीए के हाथ से छह राज्य एक एक कर निकल गए.
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणामों ने जहां आम आदमी पार्टी को तीसरी बार सत्ता की चाबी सौंप दी है, वहीं इन परिणामों ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. देश की राजधानी की विधानसभा में सत्ता की चाबी बीजेपी हर हाल में अपने पास रखना चाहती थी, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली. यहां तक कि 70 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी दहाही के आंकड़ों तक नहीं पहुंच पाई. 3 से बढ़कर वह 8 पर पहुंच गई. लोकसभा चुनावों के बाद अब तक हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ हरियाणा में बीजेपी जैसे तैसे जीती है, बाकी के सभी राज्य उसके हाथ से निकल गए.
अगर पिछले दो साल पर नजर डालें तो बीजेपी और एनडीए (NDA) के हाथ से छह राज्य एक एक कर निकल गए. लोकसभा चुनावों से ठीक पहले चार राज्यों में चुनाव हुए थे. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम. इनमें मप्र, राजस्थान और छग में बीजेपी के हाथ से सत्ता निकल गई. लोकसभा चुनावों में एक और राज्य से बीजेपी और एनडीए बाहर हो गया. आंध्र प्रदेश में बीजेपी तेलुगुदेशम के साथ सत्ता में थी. लेकिन चुनाव से पहले टीडीपी ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया. विधानसभा में आंध्र प्रदेश की सत्ता से बीजेपी के साथ साथ टीडीपी भी बाहर हो गई.
लोकसभा चुनावों के बाद हुए विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी को जैसे तैसे हरियाणा में जीत मिली, लेकिन झारखंड में वह सत्ता गंवा बैठी. महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी वह विपक्ष में बैठी है. इस तरह से उसने एक के बाद एक छह राज्य गंवा दिए.
दिल्ली की हार बड़ी
दिल्ली में एक बार फिर से बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली की हार का असर ज्यादा बड़ा है. बीजेपी इस बात को समझती थी, इसलिए उसने आप के चुनाव में मजबूत होते हुए भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी. लेकिन दिल्ली ने आम आदमी पार्टी को एक बार फिर से 62 सीटों के साथ सत्ता की चाबी सौंप दी. अगर बात हम दो साल पहले की करें तो दिसंबर 2017 में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की 19 राज्यों में सत्ता थी.
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