जीएसटी में करदाताओं को जीएसटीआर-1 एवं 3बी के अलावा यदि उसका टर्नओवर दो करोड़ से अधिक है तो ऐसी दशा में जीएसटीआर 9 फाइल करना होता है। इसके साथ ही एनुअल रिटर्न में दर्शाए व्यवहारों को बुक्स से मिलान करते हुए जीएसटीआर 9 सी भी फाइल करना होता है।
वर्ष 2024-25 के लिए दाखिल किए जाने वाले एनुअल रिटर्न फॉर्म में किए गए परिवर्तनों को समझने एवं रिटर्न को फाइल करते समय क्या सावधानियां एवं इसके लिए कैसे तैयारी की जानी चाहिए इस पर चर्चा के लिए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, इंदौर एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता सीए कृष्ण गर्ग बताया कि एनुअल रिटर्न में मुख्यतः सालभर के टर्नओवर एवं आईटीसी का मिलान तथा रिवर्स चार्ज में टैक्स का भुगतान आदि की जानकारी दी जाती है। दो करोड़ से कम टर्नओवर के लिए ये रिटर्न फाइल करना स्वैच्छिक है।
वर्ष 2024-25 के एनुअल रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर है इसके पश्चात रिटर्न फाइल करने पर करदाता को पेनल्टी भी देना होगी।
उन्होंने कहा कि टेबल 6 में पूर्व के वर्षों की ली गई क्रेडिट को अलग से दिखाने की व्यवस्था की गई है। इससे वर्षानुसार आईटीसी का मिलान करना आसान होगा।
2022 में किए गए परिवर्तन के बाद अब करदाता को इनपुट क्रेडिट लेने की पात्रता पोर्टल पर उपलब्ध जीएसटीआर 2B से ही आती है। एनुअल रिटर्न की टेबल 8 में क्रेडिट के मिलान के लिए पोर्टल पर ऐसी क्रेडिट की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। इस संबंध में सरकार द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि इस टेबल में केवल वर्ष 2024-25 के संबंधित व्यवहारों की ही जानकारी उपलब्ध होगी। अर्थात यदि वर्ष 23-24 की इनपुट क्रेडिट यदि वर्ष 24-25 में दिख रही हैं तो भी वह पिछले वर्ष की ही मानी जाएगी एवं इसे टेबल 6 में पिछले वर्ष की क्लेम की गई क्रेडिट ही दर्शाना होगा। इसी प्रकार टेबल नंबर 7 में आईटीसी के रिवर्सल की जानकारी को और विस्तृत कर दिया गया है।
एक बार एनुअल रिटर्न फाइल करने के बाद उसे रिवाइज करने की सुविधा नहीं है।
सीए सुनील पी जैन ने कहा कि 5 करोड़ तक के टर्नओवर के लिए जीएसटीआर 9-सी भरने की अनिवार्यता नहीं है। उन्होंने बताया कि जीएसटीआर 9 में अधूरी जानकारी देने से विभाग द्वारा कार्रवाई की संभावना काफी बढ़ जाती है। विवरणी भरते समय पूर्ण रूप से किताबें तथा रिटर्न का मिलान कर लेना चाहिए तथा अगर कोई दायित्व आता है तो उसे व्यास सहित स्वयं जमा करा लेना चाहिए। अन्यथा विभाग द्वारा त्रुटि पाये जाने पर शास्ती भी आरोपित की जाएगी। इस वर्ष से GSTR 9 के फलस्वरूप मांग का भुगतान क्रेडिट लेजर से भी किया जा सकेगा। इस वर्ष ई कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा किए गए व्यवहार को विवरणी में अलग से दर्शाना आवश्यक होगा। 5 करोड़ से अधिक टर्न ओवर वाले करदाताओं के GSTR 9C करने पर ही एनुअल रिटर्न पूर्ण रूप से फाइल किया माना जाएगा, अन्यथा लेट फिस आरोपित होगी।
सीए जे पी सर्राफ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वार्षिक विवरणी एक प्रकार से करदाता को अपनी गलती सुधारने का मौका देता है अतः इसे बहुत ही सावधानी पूर्वक बनाना चाहिए। यह रिटर्न कर दाता के लिए एक अवसर है, जिसमें वर्षभर में की गई कोई भी त्रुटि का सुधार संभव हो सकता है परंतु इसके माध्यम से आईटीसी लेने की पात्रता नहीं रहेगी ।
कार्यक्रम में कर सलाहकार आर एस गोयल, सीए विजय बंसल, सीए स्वप्निल जैन, सीए उमेश गोयल और बड़ी संख्या में सदस्य व स्टाफ उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन सीए दीपक माहेश्वरी ने किया।


addComments
एक टिप्पणी भेजें