जीएसटी में ट्रिब्यूनल की शुरुआत के लिए नियम जारी किये गए

 


देश में जीएसटी को लागू किये हुए करीब 8 वर्ष होने जा रहे है ! इतना समय निकल जाने के बाद भी ट्रिब्यूनल की स्थापना नहीं हो पायी है ! 1 सितम्बर 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी करके सरकार ने देश भर में 31 ट्रिब्यूनल की बेंच की स्थापना का आदेश जारी किया गया परन्तु उसके पश्चात् बहुत समय व्यतीत होने के बावजूद अभी तक ट्रिब्यूनल में कार्य शुरू नहीं हो पाया है ! मध्य प्रदेश में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केवल एक बेंच की स्थापना भोपाल में की जानी है लेकिन इसके लिए अभी तक बेंच के सदस्यों का चयन भी नहीं हो पाया है ! दिनांक 24 अप्रैल को सरकार द्वारा ट्रिब्यूनल में किस प्रकार से अपील फाइल की जा सकती है एवं उससे सम्बंधित कार्यप्रणाली के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है ! इसके साथ ही हाल ही में कुछ विवादित विषयों पर कोर्ट द्वारा आदेश जारी किये गए है ! जीएसटी में इन्ही सब की व्याख्या हेतु टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं सीए इंदौर शाखा द्वारा एक सेमिनार आयोजित किया गया !

कार्यक्रम में सी ए कृष्ण गर्ग द्वारा सभा की सम्बोधित करते हुए कहा कि जीएसटी में धारा 112 एवं नियम 110 के तहत करदाता को प्रथम अपील आदेश के विरुद्ध ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल करने का अधिकार है ! सरकार द्वारा 1 जुलाई 2017 से इस नयी कर प्रणाली को लागू करने के बावजूद अभी तक ट्रिब्यूनल की शुरुआत नहीं हो पायी है ! कई करदाताओं को ट्रिब्यूनल नहीं होने के कारण सीधे हाई कोर्ट में जाना पड़ रहा था ! ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए बहुत लम्बे समय के इंतज़ार के बाद आखिकार जीएसटी ट्रिब्यूनल में किस प्रकार से अपील फाइल की जा सकेगी एवं उस पर सुनवाई से लेकर निर्णय लेना एवं उसका आर्डर कैसे दिया जाएगा इस सम्बन्ध में विस्तृत नियम सरकार द्वारा जारी कर दिए गए है !

इन नियमो के तहत करदाता प्रथम अपील आदेश की प्राप्ति के 3 माह के भीतर ऑनलाइन अपील दाखिल कर सकता है जबकि विभागीय अपील के लिए 6 माह का समय निर्धारित है ! सभी अपील अंग्रेजी भाषा में ही मान्य की जाएगी ! हिंदी के किसी प्रपत्र की दशा में इसका अनुवाद करके दाखिल करना होगा ! अपील के लिए अलग से जीएसटीएटी ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाएगा ! अपील के साथ आदेश की मूल प्रति या विभाग अथवा अधिकृत व्यक्ति सद्वारा प्रमाणित प्रति संलग्न करना आवश्यक होगा ! अभी तक प्राप्त आदेश के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि चूँकि अभी ट्रिब्यूनल कार्यरत नहीं है अतः इसके लिए सरकार द्वारा एक तारीख निर्धारित की जायेगी उसके पश्चात उक्त समय सीमा प्रारम्भ होगी ! किसी भी आदेश के विरुद्ध अपील करते समय जिस दिनांक को आर्डर प्राप्त किया गया है उसको गणना में सम्मिलित नहीं किया जाएगा ! अपील के लिए करदाता को विवादित कर राशि के 20 % का प्री प्डिपाजिट के रूप में जमा करना होगा ! इसके अलावा अपील फाइल करने के लिए निर्धारित फीस भी जमा करनी होगी ! किसी दशा में सुनवाई नहीं करने पर अपीलकर्ता को ट्रिब्यूनल के समक्ष सुनवाई स्थगित (अड्जॉर्न ) करने के लिए आवेदन लगाना होगा ! ट्रिब्यूनल में करदाता स्वयं या किसी अधिकृत व्यक्ति के माध्यम से केस में अपना पक्ष रख सकते है ! 

वक्ता सीए नवीन खंडेलवाल ने मुंबई हाई कोर्ट के हालिया दिये गये अंतरिम निर्णयों को बताते हुए ये समझाया कि कोर्ट ने डेवलपमेंट राइट और ट्रांसफ़रेबल डेवलपमेंट राइट में अंतर को स्पष्ट किया है और कहा है कि रिवर्स चार्ज में लायबिलिटी तब ही आती है जबकि वो ट्रांसफ़रेबल डेवलपमेंट राइट जो कि डॉक्यूमेंट या सर्टिफिकेट के रूप में लैंड ओनर को कंपलसरी एक्वीजीशन के मूवावज़े बदले में प्राप्त होते हैं अतिरिक्त निर्माण के लिए और प्रमोटर यानी डेवलपर उसको उनसे ख़रीदकर उसके बदले में जो यूनिट बनाकर देता है तो ही उस ट्रांसफ़र या ख़रीदी पर एंट्री ५बी में लायबिलिटी रिवर्स चार्ज की नोटिफिकेशन ६/२०१९ के हिसाब से आती है अन्यथा नहीं। 

वक्ता सीए नवीन खंडेलवाल ने मुंबई हाई कोर्ट के हालिया दिये गये अंतरिम निर्णयों को बताते हुए ये समझाया कि कोर्ट ने डेवलपमेंट राइट और ट्रांसफ़रेबल डेवलपमेंट राइट में अंतर को स्पष्ट किया है और कहा है कि रिवर्स चार्ज में लायबिलिटी तब ही आती है जबकि वो ट्रांसफ़रेबल डेवलपमेंट राइट जो कि डॉक्यूमेंट या सर्टिफिकेट के रूप में लैंड ओनर को कंपलसरी एक्वीजीशन के मूवावज़े बदले में प्राप्त होते हैं अतिरिक्त निर्माण के लिए और प्रमोटर यानी डेवलपर उसको उनसे ख़रीदकर उसके बदले में कंस्ट्रक्टेड यूनिट देता है तो ही उस ट्रांसफ़र या ख़रीदी पर एंट्री ५बी में लायबिलिटी रिवर्स चार्ज की नोटिफिकेशन ६/२०१९ के हिसाब से आती है अन्यथा नहीं। 

कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया है कि रेवन्यू शेयरिंग के जॉइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट में लैंड के डेवलपमेंट के राइट का ट्रांसफ़र होता ही नहीं है । 

श्री खंडेलवाल ने ये भी बताया कि केरल हाई कोर्ट के द्वारा क्लब और एसोसिएशन के संबंध में लायबिलिटी क्रिएट करने वाले संशोधन को असंवैधानिक करार दिया गया है और म्युचुअलिटी के सिद्धांत के अनुसार क्लब या एसोसिएशन और उसके मेंबर्स एक ही होते अलग व्यक्ति नहीं ये सिद्धांत, सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिपादित किया हुआ है और यह जीएसटी क़ानून में भी लागू होगा । 

इस प्रकार से क्लब और एसोसिएशन द्वारा अपने मेंबर्स को दी जाने वाली सेवाओं पर एक जुलाई २०१७ से ही जीएसटी नहीं लगता है ।

चूँकि ये सेंट्रल लॉ है अतः केरला हाई कोर्ट का ये निर्णय पूरे 

देश पर लागू होगा जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इसे ना पलट दे।

सी ए जेपी सराफ ने ट्रिब्यूनल की स्थापना में देरी पर सवाल उठाते हुए कहा की इस देरी के कारण लगने वाले ब्याज का खामियाजा करदाता को ही भुगतना होगा ! भोपाल में बेंच की स्थापना की गति को देखते हुए उन्होंने कहा कि अभी मध्य प्रदेश में ट्रिब्यूनल की स्थापना में समय लग सकता है ! उन्होंने मध्य प्रदेश में भोपाल के अलावा इंदौर में भी एक बेंच की स्थापना के लिए राज्य सरकार को प्रयास करने का सुझाव दिया। 

कार्यक्रम में शैलेन्द्र पोरवाल, मनीष डफरिया, एस एन गोयल, पी डी नागर, सुनील जी खंडेलवाल, निखिल जैन, एवं बड़ी संख्या में एडवोकेट, कर सलाहकार, चार्टर्ड अकाउंटेंट उपस्थित थे। 

कार्यक्रम का संचालन सुनील पी जैन ने किया। आभार प्रदर्शन मिलिंद वाधवानी ने किया।

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