टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा *"कॉमन मिस्टेक्स इन प्रसेन्टेशन इन फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स ऑफ़ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी"* विषय शुक्रवार को टीपीए हॉल इंदौर में पर एक सेमिनार का आयोजन किया जिसमें सेशन चेयरमेन आईसीएआई के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीए मनोज फडनिस एवं स्पीकर सीए अभिषेक गांग थेl
टीपीए प्रेसिडेंट सीए जे पी सराफ ने बताया कि ग्रेटर ट्रांसपेरेंसी रिक्वायरमेंट्स के कारण प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के फाइनेंसियल स्टेटमेंट एवं ऑडिट रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में अब पहले से ज़्यादा सावधानियाँ रखनी होती हैं।
ऐसे कई बिंदु हैं जिनमें ऑडिटर के रूप में हम जाने अनजाने ग़लतियाँ कर जाते है एवं हमें आरओसी एवं अन्य नियामक संस्थानों से नोटिस का सामना करना पड़ता है।
टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने बताया कि कॉर्पोरेट सेक्टर का 90% रिप्रजेंटेशन प्राइवेट लिमिटेड कम्पनीज़ करती हैं। सरकार और रेग्युलेटर्स ने फाइनेंसियल अकाउंट्स, ऑडिट रिपोर्ट, नोट्स टू द अकाउंट्स सहित पूरी रिपोर्टिंग्स में सख़्त डिस्क्लोजर नॉर्म्स लागू कर रखे हैं।
आरओसी का सेंट्रलाइज़ प्रोसेसिंग सेंटर अब कंपनीज के रिटर्न एआई, सॉफ्टवेयर एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की टीम के द्वारा प्रोसेस कर रहा है। जानकारी के अभाव में जाने अनजाने में हम इन नॉर्म्स के पालन एवं प्रज़ेंटेशन में गलती कर जाते हैं एवं हमें नोटिस का सामना पड़ता है।
सेशन चैयरमेन सीए मनोज फडनिस ने कहा कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में लिस्टेड कम्पनीज से कम डिस्क्लोज़र रिक्वायरमेन्ट्स रहती है लेकिन यदि इसे प्रोप्राइटरशिप या पार्टनरशिप फर्म से कंपेयर करें तो तूलनात्मक रूप से बहुत अधिक डिस्क्लोज़र एंड रिपोर्टिंग रिक्वायरमेन्ट्स होती है l स्टेकहोल्डर्स, टैक्स डिपार्टमेंट्स, नियामक संस्थाओं सहित निवेशक भी प्राइवेट लिमिटेड कम्पनीज पर पार्टनरशिप/प्रोप्राइटरशिप फर्म की अपेक्षा तूलनात्मक रूप से ज्यादा भरोसा करते हैंl उन्होंने कहा कि अब हम ट्रांसपेरेंसी के युग में जी रहे हैं अतः जिसके फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी होगी वही ज्यादा विश्वसनीय होगा l
सीए अभिषेक गांग ने बताया कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के केस में फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स बनाने की जवाबदारी मैनेजमेंट की होती है; ऑडिटर सिर्फ उसे वेरिफाई करता है तथा उस पर अपनी रिपोर्ट देना होती है l बढ़ते कपम्प्लायन्स, रेग्युलेटरी रिक्वायरमेंट्स एवं नियमों के कारण व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं होता है कि मैनेजमेंट फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स तैयार कर सकेl यहाँ ऑडिटर्स की दोहरी भूमिका हो जाती है उसे फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स बनाने से लेकर ऑडिट तक की सेवाएं देनी होती हैं जो कि सिद्धांततः सही नहीं है l मेकर एंड चेकर रूल को फॉलो करते हुए जहाँ मैनेजमेंट फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स बनाने में असमर्थ होता है तो उसे ऑडिटर के स्थान पर अन्य सीए की सेवाएं लेनी चाहिए ताकि मेकर एंड चेकर सिद्धांत फॉलो हो सके तथा सारे स्टैण्डर्ड फॉलो हो सके l उन्होंने कहा कि अब नेशनल फाइनेंसियल रिपोर्टिंग ऑथोरिटी,आईसीएआई का डिसिप्लिनरी डायरेक्टरेट सहित अन्य नियामक संस्थाएं गलती करने पर नोटिस जारी करती हैं तथा मैनेजमेंट को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है l अतः आवश्यक है कि फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स को फाइनल करते समय यह सुनिश्चित करें कि सभी एकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स, इंस्टिट्यूट के गाइडेंस नोट्स, कम्पनीज एक्ट के शिड्यूल 3 सहित सभी डिस्क्लोजर रिक़्वायर्मेंटस का पालन हो गया है l
सेमिनार का सञ्चालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कियाl धन्यवाद् अभिभाषण सीए रजत धानुका ने दिया l इस अवसर पर सीए प्रणय गोयल, सीए प्रमोद गर्ग, सीए मनोज गुप्ता, सीए संकेत मेहता, सीए अजय सामरिया, सीए सुनील पी जैन, सीए अभिषेक माहेश्वरी, सीए मनीष डफ़रिया सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे l उक्त जानकारी मानद सचिव, टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर सीए (डॉ) अभय शर्मा ने दी।
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