अधिवक्ता कृष्ण कुमार त्रिपाठी द्वारा महिला थाने में जब एक प्रकरण में FIR की कॉपी मांगी गई तो महिला थाने ने ये कहते हुये देने से इनकार कर दिया कि आरोपी या उसके वकील को FIR की कॉपी देने का नियम नही है। अधिवक्ता द्वारा समझाने की कोशिश की गई कि नियम है और सुप्रीम कोर्ट का आदेश है।। तत्पश्चात अधिवक्ता द्वारा RTI का सहारा लिया गया जहां महिला थाने से कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारियां मांगी गई जिसमें महिला थाने से माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश और अधिसूचना की कॉपी मांगी थी जिसमे 24 घण्टे में FIR अपलोड करने और कॉपी मांगे जाने पर आरोपी या उसके वकील को देने का नियम है। किंतु महिला थाने द्वारा कोई जानकारी नही दी गयी। फर्स्ट अपील लगाने के बाद ACP ऑफिस से जानकारी दी गयी किंतु वो भी आधी अधूरी। ACP ऑफिस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेशित नियम अनुसार भोपाल DGP कार्यालय से जारी अधिसूचना उपलब्ध कराई जिसमे स्पष्ट उल्लेख है कि आरोपी पक्ष को या उसके वकील व रिश्तेदार को FIR की कॉपी मांगने पर 24 घण्टे में उपलब्ध कराई जाए तथा उसे ऑनलाइन भी 24 घण्टे में अपलोड की जाए जो पुलिस नही करती। पुलिस द्वारा न्यायालय की अवमानना खुलकर की जा रही है और नियमो की धज्जियां उड़ायी जा रही है। प्रत्येक आरोपी को एफआईआर होने पर तुरंत 24 घण्टे में एफआईआर की कॉपी लेने का अधिकार है ,या आरोपी के रिश्तेदार या वकील को भी ये अधिकार प्राप्त है, पुलिस देने से इनकार नही कर सकती किंतु ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इंदौर पुलिस द्वारा सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नही किया जा रहा।।
हर आरोपी को है 24 घण्टे में एफआईआर की कॉपी लेने का हक...., सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की उड़ाई जा रही है धज्जियां
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