“भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133 वी जन्मजयंती” के उपलक्ष्य पर आशा पारस फॉर पीस एंड हारमनी फाउंडेशन एवं वेद फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार “सामाजिक न्याय एवं जेंडर समानता के लिए डॉ. अंबेडकर का चिंतन” विषय पर हुआ सम्पन्न


बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने मानव हित को सर्वोपरि रखकर अपने विचारों/कार्यों से समाज को अतुलनीय योगदान प्रदान किया है - प्रो. आशा शुक्ला

डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं की समानता और सम्मान के लिए दूरदर्शी सोच के साथ चिंतन ही नहीं बल्कि हर संभब कार्य किया है – प्रो. सबिहा हुसैन

बाबासाहेब अंबेडकर ने किसी एक समुदाय के नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानव समाज के लिए कार्य किया है- प्रो. कन्हैया त्रिपाठी 

बाबा साहब ने अपने लेखन से, साहित्य से एवं कार्यों से हम महिलाओं को इतना मजबूत बनाया है कि हम शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्तर पर बराबरी से अपनी बात कह सकते हैं । डॉ. मनीषा सक्सेना

भोपाल । दिनांक 14 अप्रैल 2024 को बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की 133 वी जयंती के उपलक्ष्य पर आशा पारस फॉर पीस एंड हारमनी फाउंडेशन एवं वेद फाउंडेशन, भारत के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार “सामाजिक न्याय एवं जेंडर समानता के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर का चिंतन” विषय के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में देश के अलग स्थानों से प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. आशा शुक्ला, पूर्व कुलपति ब्राउस द्वारा की गई। विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो. सबिहा हुसैन निदेशक, महिला अध्ययन केंद्र, जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली, प्रो. देवाशीष देवनाथ, पूर्व चेयर प्रोफेसर, डॉ. अंबेडकर पीठ, डॉ. बी. आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू, प्रो. कन्हैया त्रिपाठी, चेयर प्रोफेसर, डॉ. अंबेडकर पीठ, पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, भटिंडा, डॉ. मनीषा सक्सेना, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. बी. आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू उपस्थित रहे । 

कार्यक्रम का संचालन समन्वयक डॉ. मनोज कुमार गुप्ता, संपादक, द एशियन थिंकर रिसर्च जर्नल द्वारा प्रस्तावना एवं स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया गया। धन्यवाद डॉ. रामशंकर, असिस्टेंट प्रोफेसर IIMT कॉलेज ऑफ मैनिजमेंट यूपी द्वारा प्रदत्त किया गया।

प्रो. साबिहा हुसैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ. बाबा साहब अंबेडकर ने महिलाओं को सशक्त बनाने और समानता के लिए अपने विचार और लेखनी से कार्य किया। उन्होंने सभी समुदाय/धर्म की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए चिंतन ही नहीं वरन जीवनपर्यंत कार्य किया और उनको संवैधानिक अधिकार प्रदान किए ।

प्रो. देवशीष देवनाथ ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ. अंबेडकर मानव समाज के प्रेरणा स्त्रोत हैं उन्होंने हर उस बँचित तबके के लिए कार्य किया जो मुख्य धारा में नहीं था। उन्होंने कहा कि हमे आज बाबासाहब को समझने के लिए उनको पढने की अत्यंत आवश्यकता है और उनके विचारों पर चलने की जरूरत है ।

प्रो. कन्हैया त्रिपाठी द्वारा वक्तव्य प्रदान करते हुए कहा की बाबासाहेब अंबेडकर ने जब संविधान बनाया तो उन्होंने किसी एक धर्म/जाति/वर्ग विशेष के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानव समाज के लिए भारतीय ज्ञान-परंपरा और देशज ज्ञान को ध्यान में रखते हुए भी काम किया है । 

प्रो. मनीषा सक्सेना ने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर को जब हम पढते हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरणा लेते हैं तो पाते हैं कि बाबासाहब ने महिलाओं पुरुषों को मानवीय जीवन जीने और शांति सद्भाव से काम करने तथा एक दूसरे के प्रति सौहाद्र की भावना से जीवन जीने के लिए कार्य किये और प्रेरित किया है । उनके विचार हमे लगातार प्रेरणा देते हैं ।

प्रो. आशा शुक्ला द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि बाबा साहब ने अपने विचारों से सभी को प्रभावित किया है और आज हम उनके विचारों को उनकी जन्मजयंती के माध्यम से सेलिब्रेट कर रहे हैं। बाबासाहब ने अपने कार्यों में मानव हित को सर्वोपरि रखते हुए जेंडर समानता के लिए कार्य किए हैं ,उनका सामाजिक योगदान अतुलनीय है । 

कार्यक्रम के अंत में आभार डॉ. रामशंकर द्वारा प्रदान किया गया। वेबिनार में शिक्षाविद, शोधार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं मीडिया प्रतिनिधि सम्मलित हुए।  

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