ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी समूहों के नाम पर अलिराजपुर जिले के विकासखण्डों में अधिकारियों की साठ गांठ से सप्लायर स्कूल ड्रेस सप्पलाई करने के लिए बंदरबाट का खेल शुरू

 


यशवंत जैन, अलिराजपुर

विगत वर्ष भी जिलेभर में घटिया जर्जर कपड़े से बनी सप्लायरो ने बच्चो को घटिया ड्रेस वितरण की थी 

प्रति छात्र छात्राओं को दो ड्रेस प्रति ड्रेस 300 ₹ दो ड्रेस 600 ₹ का बंदरबाट मामला

अलिराजपुर जिले में ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी समूहों के माध्यम से छात्र छात्राओं को दी जाने वाली स्कूल ड्रेस की बंदरबाट में सप्लायर अधिकारियों से मिलीभगत करने में लगे है।

विगत वर्ष दी गई स्कूल ड्रेस समूह के नाम से जिलेभर में अधिकारियों की मिलीभगत से जिले की स्कूलों में थोक में प्रति बच्चो को दो ड्रेस बिना माप की जबरन स्कूलों में भेज कर समूहों में खाते से ड्रेस का रुपया वसूल कर कमीशन की बंदरबाट कर दी गई थी जिसका परिणाम छात्र छात्राओं को दी गई घटिया कपड़ो से बनी ड्रेस एक वर्ष बीत जाने जाने के बाद भी आज तक नही मिली और सप्पलायरो ने राजनीतिक आशीर्वाद प्राप्त कर अधिकारियों से कमीशनखोरी की सेटिंग जमा कर समूहों के नाम से स्वयं सप्लायरों द्वारा जिले की समस्त विकासखण्डों की स्कूलों में घटिया कपड़े से बनी ड्रेस वितरण कर अपना जाल फैलाया था। इस वर्ष 2023-24 की ड्रेस की राशि प्रति छात्र दो ड्रेस के हिसाब से 600₹ की राशि प्रति छात्र -छात्राओं के लिए समूहों के खाते में जमा हो चुकी है । जब मीडिया प्रतिनिधि ने जिले के आजीविका मिशन के मुकेश शिंदे से जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि इस ड्रेस वितरण में उनका किसी प्रकार का हस्तक्षेप नही है सारा रुपया पूरे जिले के समूहों के खाते में आता है समूह ही ड्रेस वितरण करते है । जब मीडिया ने शिंदे से पूछा कि समूहों द्वारा कपड़े का सत्यापन कराया जाता है तो इस पर उन्होंने कहा कि सत्यापन का प्रमाणपत्र के बाद ही ड्रेस सिलवाई जाती है । इस पर मीडियम ने अगला सवाल किया कि विगत वर्ष समूहों द्वारा कपड़े का सत्यापन करवाया गया था तो छात्र छात्राओं की ड्रेस वर्षभर क्यो नही चली उनका कपड़ा जर्जर होकर फटने से ड्रेस छात्र छात्राये स्कूल पहन कर नही पहुच पाए और तो कई बच्चो को शिकायत के बाद ड्रेस भी नही मिली। इस पर शिंदे चुप रहे। मिडिया ने जिले में ड्रेस बना रही समूहों की लिस्ट मांगी तो वे आनाकानी करते एक दूसरे अधिकारी का नाम लेकर ऑफिस से चले गए।सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस बार भी ड्रेस की सप्पलाई के लिए राजनीतिक स्तर पर अपने अपने सप्पलायरो की जिले के विकासखण्ड में बंदरबाट अधिकारियों पर दबाव बनाकर स्कूलों में अचानक ड्रेस पहुचाई जाएगी।

मामले को लेकर नाम नही बताने की शर्त पर ग्रामीण पालको का कहना है कि सरकार तो बच्चो का भला सोचती है लेकिन अधिकारियों और सप्पलायरो कि वजह से बच्चो को उनकी सही माप ओर सही कपड़े की ड्रेस नही मिलने से बच्चे घटिया ड्रेस फ़टी हालत में स्कूल पहनकर नही जा पाते है। इस वर्ष भी वही होगा सप्लायर सक्रिय हो गए है समूहों में कोई ड्रेस नही बनती है सप्पलायरो के द्वारा होलसेल में हल्के कपड़े की घटिया ड्रेस बच्चो की वितरित करने की इस माह में तैयारी है।

टिप्पणियाँ