राम के सामने उषा, उषा को सता रहा भीतरघात का खतरा

 


महू से *विनय स्वामी* की खास रिपोर्ट

महू। आखिरकार भाजपा ने अपनी अंतिम लिस्ट जारी कर दी है और महू से एक बार फिर पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर को मौका मिला है अब उषा ठाकुर के सामने कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला होंगे लेकिन उषा को अब भीतर घाट का खतरा दिखाई देने लगा है क्योंकि भाजपा के ही एक दर्जन स्थानीय बड़े नेताओं ने उषा के खिलाफ पार्टी आलाकमान का मन को पत्र लिखकर कहा था कि महू से स्थानीय उम्मीदवार को टिकट मिलना चाहिए।


महू में इस बार उम्मीद थी कि राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार या फिर अन्य किसी नेता को भाजपा टिकट देगी लेकिन पार्टी आला कमान ने एक बार फिर उषा ठाकुर पर ही भरोसा जताया है। कुछ  दिन पहले ही एक दर्जन से अधिक नेताओं ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर स्थानीय उम्मीदवार की मांग की थी लेकिन उनका यह विरोध रंग नहीं लाया और पार्टी ने उषा ठाकुर को ही उम्मीदवार बना दिया अब उषा ठाकुर को लग रहा है कि जिन लोगों ने जिनके खिलाफ लॉबिंग की थी अब वही लोग जमीनी स्तर पर उनके लिए काम करेंगे या नहीं।

दूसरी और उषा ठाकुर के लिए बड़ी समस्या यह भी है कि कांग्रेस से भाजपा में आए कई नेता से रामकिशोर शुक्ला के गहरे संबंध रहे हैं, इससे वह पार्टी के लिए काम करेंगे या नहीं इस बात का डर उषा ठाकुर को सता रहा है।

एक और महू के स्थानीय लोग भी स्थानीय उम्मीदवार की मांग दोनों पार्टियों से करते रहे हैं इससे इस बार कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला को थोड़ी बढ़त मिलने की उम्मीद की जा रही है क्योंकि महू गांव नगर परिषद में राम किशोर शुक्ला का खासा दबदबा रहा है। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा था और स्थानीय उम्मीदवार की मांग की थी पर आज जब उनकी बात नहीं मानी गई है तो हम समझ सकते हैं कि उसका क्या असर पड़ेगा इस चुनाव में।



दूसरी और उषा ठाकुर ने ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर अच्छा खासा मेल मिलाप बनाए रखा है। कई ग्राम पंचायतो में ठाकुर समाज का दबदबा है। 

दोनों उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें

शुक्ला और ठाकुर के लिए महू विधानसभा में काफी मुश्किलें भी है एक और शुक्ला को काफी कड़क मिजाज माना जाता है इस कारण कई कार्यकर्ता उनसे नाराज भी रहते आए हैं तो दूसरी ओर उषा ठाकुर के लिए मुश्किल यह है कि वह स्थानीय उम्मीदवार नहीं है और स्थानीय छुट भैया नेताओं को कमाई का मौका नहीं देती है कई स्थानीय छोटे नेताओ की तोड़ बट्टे वाली दुकान उनके आने के बाद से बंद हो गई थी वह स्थानीय उम्मीदवार चाहते थे ताकि उनकी दुकानदारी वापस शुरू हो जाए।

दरबार ने शक्ति प्रदर्शन कर कांग्रेस संगठन  को  सोचने पर मजबूर कर दिया है। वही अंतर सिंह दरबार ने कहा है कि मैं अब खुल के कहा रहा हूं की में निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा 27 तारीख को सारे साथियों के साथ मिलकर नामांकन दाखिल करूंगा

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