पर्यूषण महापर्व के पहले दिन अष्ठानिका के प्रवचन में कहा गया कि सभी दानों में अभय दान सर्वश्रेष्ठ है

 


यशवंत जैन

अहंकार व्यक्ति को विनाश और पतन की ओर ले जाता है--सचिन भंडारी

 महिदपुर रोड -- गुवाहाटी जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक श्री संघ मैं पर्यूषण महापर्व की आराधना के प्रथम दिन जावरा वर्धमान स्वाध्याय मंडल से आए सचिन भंडारी महिदपुर रोड़ एवं जिनेंद्र जैन इंदौर ने धर्म सभा में जिनवाणी का श्रवण कराते हुए कहा कि सभी दानों में अभय दान यानी जीवनदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है । अहंकार व्यक्ति को विनाश में पतंन की ओर ले जाता है। पर्यूषण महापर्व के पांच कर्तव्य अमारी प्रवर्तन ,साधार्मिक वात्सल्य, क्षमापना अठृमतप चैत्यपरिपाटी , के बारे में विस्तृत से बताया गया ,हमें प्रबल पुण्योदय के योग से मानव भव उत्तम जाती, उत्तम कुल, उत्तम योनी, उत्तम धर्म प्राप्त हुआ है। अगर इतना सब कुछ मिलने के बाद भी हम धर्म आराधना नहीं करते हैं तो हमारा मनुष्य जन्म निरर्थक हो जाएगा। 



साथ ही कहां गया है कि महापर्व के दिनों में अगर थोड़ी सी भी धर्म आराधना की जाए तो वह बहुत अधिक फलदाई होती है। पर्यूषण का अर्थ बताते हुए कहा गया कि पुण्य का पोषण एवं पाप का शोषण उसी का नाम ही पर्व पर्यूषण है। पर्व दो प्रकार के होते हैं लौकिक और लोकोक्तर ,लौकिक यानी शरीर को सजाने वाले पर्व , लोकोत्तर यानी पर्यूषण महापर्व में तप त्याग तपस्या साधना आराधना के माध्यम से आत्मा को सजाने का पर्व है ।यह पुण्य प्राप्ति एवं आत्म शुद्धि का पर्व है। महापर्व की प्रथम दिवस सुबह प्रतिक्रमण स्नात्र पूजा ,भक्तांबर, प्रवचन, संध्या को प्रतिक्रमण आरती भक्ति एवं विभिन्न धार्मिक प्रतियोगिताओं को संपन्न किया गया इस अवसर पर सकल जैन श्री संघ में उपस्थित होकर धर्म लाभ प्राप्त किया उक्त जानकारी जैन श्री संघ के संजय शाह ने दी

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