कर्मसत्ता किसी को नहीं छोड़ती चाहे राजा हो या रंक --प्रिय लक्ष्णा श्री जी म सा

 यशवंत जैन 

पानी की एक बूंद में होते हैं 36450 जीव

महिदपुर रोड शुक्रवार जैन स्थानक भवन में परम पूज्य महा सती साध्वी श्री प्रियलक्ष्णा श्री जी म सा ने धर्म सभा को जिनवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि कर्म सत्ता किसी को नहीं छोड़ती चाहे वह राजा हो या रंक सभी को अपने किए हुए कर्मों को भोगना ही पड़ता है कर्मों ने भगवान राम और महावीर को भी नहीं छोड़ा है हम तो मात्र इंसान हैं इसलिए जीवन में ऐसे कार्य करना चाहिए जिसमें कर्म बंधन नहीं हो क्योंकि व्यक्ति कर्म स्वयं एवं पूरे परिवार के लिए बांधता है। लेकिन भुगतना उसे स्वयं ही पड़ता है जल में थल में अग्नि में वायु में सभी जगह असंग ख्यात जीव है पानी की एक बूंद में 36450 जीव हलन चलन वाले एवं अन्य असंख्य होते हैं हम जैन धर्म में इच्छि कार, एवं प्रतिक्रमण सूत्रो के माध्यम से जीवो से क्षमा मांग सकते हैं इसलिये जैन धर्म को विश्व में सर्वश्रेष्ठ धर्म कहा है यह प्राणी मात्र के प्रति दया प्रेम क्षमा का भाव रखता है क्षमा विरास्य भूषणम्, सत्य अहिंसा परमो धर्म एवं जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चलता है पूज्य साध्वी म,सा अनुकूलता के अनुरूप ताल नगर की ओर विहार करेगी ।पूज्य महाराज साहब के दर्शन वंदन एवं खाचरोद नगर में पधारने की विनती करने के लिए समता महिला मंडल की सदस्या पधारी एवं पूज्य साध्वी जी महाराज सबसे नगर में पधारने की भाव भरी विनती की हेतु उक्त जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी सचिन भंडारी ने दी।



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