नारी हूँ
नारी हूँ ……
नही करती निराश नर को ।
जिस रूप में चाहो
उस रूप में सजा देती हूँ घर को,
कभी मातृत्व से ,कभी स्नेहत्व से
कभी लेकर स्वरूप अर्धांगिनी का
रच बस जाती हूँ तुम्हारे वूंश में….
नारी हूँ……
नही करती निराश नर को
तुम चाहे मानो या ना मानो….
तुम्हारे जीवन का सूर्य हूँ मैं
तुम्हारे जीवन की भोर हूँ मैं
तुम्हारी राखी की डोर हूँ मैं
दीवाली के दीपों की ज्योत हूँ मैं
होली के जितने रंग खेलते हो तुम,
उन रंगों की रंगरेज हूँ मैं,
शक्तिपुंज बनकर हर बार
तुम्हें पोषित करती हूँ मैं
नारी हूँ ……
नही करती निराश नर को।
---श्रीमती अंजू जैन
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