मोहनदास करमचंद गांधी की परपोती आशीष लता रामगोविंद को अफ्रीका में हुई सजा का तथ्यात्मक विश्लेषण


 मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें बहुत से लोग महात्मा भी कहते हैं, मृत्यु के 73 वर्ष बाद एक बार फिर से याद किए जा रहे हैं इस बार चरके से देश को आजादी दिलाने के लिए नहीं नाही ब्रिटिश क्रॉउन के प्रति अगाध समर्पण के लिए बल्कि इसलिए कि उनकी   परपोती आशीष लता रामगोविंद को साउथ अफ्रीका के डरबन शहर की एक अदालत ने 7 साल की सजा सुनाई है. मोहनदास करमचंद गांधी जी बहुत से लोग महात्मा भी कहते हैं मृत्यु के 73 वर्ष बाद एक बार फिर से याद किए जा रहे हैं इस बार चरके से देश को आजादी दिलाने के लिए नहीं नाही ब्रिटिश क्रॉउन के प्रति अगाध समर्पण के लिए बल्कि इसलिए कि उनकी पोती आशीष लता राम गोविंद को साउथ अफ्रीका के डरबन शहर की एक अदालत ने 7 साल की सजा सुनाई है56 वर्ष की आशीष लता के ऊपर डरबन में ही यह दूसरा मामला है और वह पहले मामले में इस वक्त भारत में अपने समर्थक पारिवारिक मित्रों की तरह जमानत पर हैं इस मामले में आपका अपना चैनल मालवा मेरा सनातन फाइल कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डालना चाहता है क्योंकि भारत में पिछले 74 वर्षों से जो कुछ भी हो रहा है उसकी झलक इस मामले में भी देखने को मिलती है: -



1.   जिस गांधी को पूरी दुनिया में जाना जाता है उसकी परपोषी इतने बड़े स्कैंडल में ना सिर्फ बसी है बल्कि दोषी  भी   साबित हुई है पर ना तो किसी एक्टिविस्ट के मुंह से इस बात पर एक शब्द भी निकला ना ही बड़े मीडिया हाउस ने   कोई खबर चलाई.  इसके उलट अगर इस तरह के किसी दोषी व्यक्ति का सरनेम भी मोदी होता तो और वह गुजरात से जुड़ा होता तो हर चैनल के लिए यह हेड लाइन होती और हर अखबार के लिए उस दिन की सबसे बड़ी खबर यही दुर्भाग्य है इस देश का और यही स्थिति है दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की

2.   अब नजर डालते हैं आज कुछ बड़े चैनलों और अखबारों पर तो हम पाएंगे कि एनडीटीवी और एबीपी जैसे बड़े चैनलों ने तो उस खबर को अपनी वेबसाइट पर प्रसारित किया है पर देश के नामी अखबार जिनमें से टैक्स ऑफ इंडिया, दा हिंदू, हिंदुस्तान टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि है जिन्होंने इस खबर को प्रकाशित करना अपनी जिम्मेदारी बिल्कुल नहीं समझा क्योंकि उनके द्वारा चलाए जा रहे एजेंडा में यह खबर फिट नहीं बैठती है हां अगर देखा जाए तो अंग्रेजी की अखबार फ्री प्रेस में और हिंदी के अखबार नईदुनिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ होने की अपनी जिम्मेदारी निभाई है ना कि सिर्फ गांधी से जुड़े होने या गांधी सरनेम होने पर कितनी भी बड़ी खबर हो मुंह में दही जमा कर बैठ जाने वाला काम किया

3.   यहां हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि इन्हीं आशीष लता रामगोविंद की मात्रा इला अरुण और पिता राम गोविंद मानव अधिकार के कार्यकर्ता थे और उन्हीं मोहनदास करमचंद गांधी के कई वंशज ह्यूमन राइट्स के जबरदस्त एक्टिविस्ट में आशीष लता ने भी अपने आप को एनजीओ इंटरनेशनल सेंटर पर अहिंसा में सहभागी विकास पहल की संस्थापक और कार्यकारी निर्देशक के बतौर साउथ अफ्रीका में परिचय करवाया था वहां उन्होंने खुद को पर्यावरण सामाजिक और राजनीतिक हितों पर ध्यान देने वाली है कार्यकर्ता बताया था और आपको यह भी बता दें कि उनकी मां इला गांधी और पिता राम गोविंद दोनों को भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों जगह राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं



4.   जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर प्रसारित होनी शुरू हुई बहुत से लोग अलग-अलग तरह की बातें करने लगे जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण बातें ही है थी की बात अगर फ्रॉड या धोखाधड़ी की हो तो शायद आशीष लता रामगोविंद के खून में ही अच्छे से रक्षा और बसा हुआ था यह जबरदस्त गुण कुछ दशकों ने हमारे चैनल को बताया कि भारत को जो 1947 में गठित आजादी मिली थी वह भी किसी फ्रॉड से कम नहीं है क्योंकि आज भी कोई एक भी दस्तावेज अंग्रेजों द्वारा भारत को आजादी दिए जाने के संबंध में ना तो भारत के किसी कार्यालय या संग्रहालय में है ना ही इंग्लैंड में कहीं पर भी देखने को मिलता है इस बारे में कई प्रचार विचारकों ने कई बार अपने विचार रखे हैं जिनमें से पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जनरल जीडी बक्शी गौरव आर्य आदि प्रमुख हैं पर यह देखने में आया कि जब भी वे लोग इस तरह की कोई पोस्ट सोशल मीडिया पर करते हैं तो बहुत सारे लोग जो अपने आप को प्रोग्रेस से या सुधारवादी बताते हैं उनके पीछे हाथ धो कर पड़ जाते हैं और उनका कहना यही रहता है कि गांधी को बदनाम किया जा रहा है क्योंकि यह संघ का एजेंडा है.

भारत की आजादी का आंदोलन, मोहनदास करमचंद गांधी, दक्षिण अफ्रीका, अहिंसा, चरखे की ताकत आदि में क्या रिश्ता है और इन सब की असलियत क्या है, यह जानना आज के सूचना प्रौद्योगिकी के युग में मुश्किल नहीं है. इस लेख का उद्देश्य पाठकों को  सारी बातों की ओर सोचने के लिए प्रेरित करना है.

अपने मोबाइल, अपने कंप्यूटर का उपयोग कीजिए और जानिए कि कौन था गांधी और क्या थी उसकी असलियत?




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