डॉ- बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू इन्दौर एवं भारतीय शिक्षण मंडलए के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: (सम्बधित विषय) शिक्षकों की भूमिका विषय पर एक वर्षीय अकादमिक कार्यक्रमों की श्रृखंला आज उद्घाटन कार्यक्रम 06 मई, 2021 को हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. आर.पी. तिवारी, कुलपति, पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिण्डा ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली को शिक्षक उन्मूख देखने की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी शिक्षण प्रणाली के लिए शिक्षकों की भूमिका अहम होती है और हमारी नई शिक्षा नीति 2020 में इसका बहुत ध्यान रखा गया है। हमें नई शिक्षा निति के अनुरूप शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना होगा, जिससे नई शिक्षा नीति 2020 के उददेश्यों को पूरा करने में मद्द मिलेगी। शिक्षकों को भी अपने स्वयं में सुधार करने का प्रयास करना होगा। भारतीय शिक्षा में परिवर्तन नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से 34 वर्ष बाद हो रहा है। हम सब जानते है कि तकनीक में विगत वर्षो में बहुत अंतर आया है। इसलिए भारतीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन की मंाग कई वर्षो से बनी हुई थी जो कि नई शिक्षा नीति 2020 के बाद पूरा होना आपेक्षित है। आगे उन्होंने आज के दौर में हमारे शिक्षा प्रणाली में सूचना प्रोद्यौगिकी का उपयोग अधिक से अधिक करने की आवश्यकता है।
प्रो. आशा शुक्ला, कुलपति ब्राउस द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यक्रम के बारे में बताते हुये कहा कि डॉण् बीण् आरण् अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू इन्दौर एवं भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा सामुहिक सहयोग से आयोजित किये जा रहे इस एक वर्षीय कार्यक्रम के माध्यम से नई शिक्षा नीति 2020 के संबंध में विभिन्न विषयों के शिक्षकों की भूमिका पर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के वेबीनार द्वारा व्यापक चर्चा होगी, जिसका निश्चित ही नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में अकादमिक महत्व होगा। इस शिक्षा निति के सफल क्रियान्वयन हेतु सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यायो एवं अन्य शिक्षक संस्थानों को सामूहिक भूमिका निभाने की आवश्यकता है। ब्राउस अपने दायित्व बोध को सुनिश्चित करते हुये इस एक वर्षीय कार्यक्रम का आयेाजन कर रहा है।बीज वक्तव्य के रूप में डाॅ. उमाशंकर पचैरी, राष्ट्रीय महामंत्री, भारतीय शिक्षण मण्डलए ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय शिक्षण मण्डल का उद्देश्य ही प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक शिक्षा में उत्कृष्टता लाने के लिये कार्य करना है। हमारी शिक्षा प्रणाली भारतीय मूल्यों पर केन्द्रित हो जिसमें नीति, पाठयक्रम और पद्धति तीनों स्तर पर भारतीय मूल्यों को शामिल किया जाना चाहिए, जो कि इस नई शिक्षा नीति में ध्यान रखा गया है। इस कार्य में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी जो कि देश भर के शिक्षकों द्वारा विगत कई वर्षो ्में शिक्षा नीति में परिवर्तन करने की मांग भी थी तो यह कह सकते है कि यह शिक्षा नीति शिक्षकों की सपनों की शिक्षा नीति तैयार हुई है। हम सभी की जिम्मेदारी प्रमुख है क्योंकि इसका क्रियान्वयन शिक्षकों के द्वारा किया जाना है। इन कार्यक्रमों की श्रृखंला जिसमें विभिन्न विषयों पर देश के कई विशेषज्ञ शिक्षकों की भूमिका, पाठ्यक्रम में परिवर्तन, शिक्षण पद्धति में परिवर्तन इत्यादि विषय पर गहन चर्चा करेंगे, जिसका बहुत अधिक महत्वय क्रियान्वयन में होगा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. वी.के. मल्होत्रा, सदस्य सचिव, आई.सी.एस.एस.आर. नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिस तरिके से पिछलें वर्षो में तकनीक बहुत तेजी से बदली है और बदल रहीं है तो कैसे एक 34 वर्ष पूर्व निर्मित शिक्षा नीति आज के दौर में प्रभावी हो सकती है। नई शिक्षा नीति 2020 आज के परिदृश्य और भविष्य की अपेक्षाओं एवं अकांक्षाओं पर आधारित है। यह शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में मदद करेगी। हमें आने वाले समय में शोध क्षेत्र में अधिक से अधिक कार्य करने की आवश्यकता है और परम्परागत शोध पद्धति के साथ नये विषयों एवं शोध पद्धति अपनाने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में जोर दिया गया कि शिक्षा मातृभाषा में ही हो। हम देखते है कि भारत के विद्यार्थी विदेशों में हजारों करोड़ रूपये खर्च कर डिग्रीयां लेने जाते है, जिसका कहीं न कहीं कारण हमारी शिक्षा नीति में ही कमियां होना है जो कि अब नई शिक्षा नीति द्वारा दूर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि देश के सभी आयामों के विकास का नेतृत्व सिर्फ शिक्षक ही कर सकते है। इसलिए शिक्षकों को आपस में मिलकर एक साथ आगे आने होगा और संयुक्त भूमिका निभाते हुये शिक्षण व्यवस्था को नई शिक्षा नीति के माध्यम से सुदृण करना होगा।
विशिष्ट अतिथि डाॅ. रविन्द्र कान्हेरे, अध्यक्ष, प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति, म.प्र. ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस शिक्षा नीति में मल्टी डिस्पनरी प्रणाली को अपनाया है जिसमें कला का विद्यार्थी वाणिज्य एवं वाणिज्य का विद्यार्थी कला इसी तरह अन्य संकाय के विद्यार्थी एक साथ विभिन्न विषय का अध्ययन कर पायेगा। इस प्रणाली के क्रियान्वयन हेतु कुलपति एवं कुलसचिवों की भूमिका मुख्य होगी क्योंकि उनके द्वारा ही बोर्ड आॅफ स्टण्डी के गठन कर पाठ्यक्रमों में जरूरत अनुसार बदलाव करना होगा।
कार्यक्रम संचालन क प्रो. डी. के. वर्मा द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. मनीषा सक्सेना द्वारा दिया गया।
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