मेष राशि - गुड़हल के लाल फूल, कुमकुम एवं अनार मां को अर्पण करें।
वृषभ राशि- गुलाब का सफेद फूल, चावल, श्वेत चंदन एवं माखन मिश्री मां को अर्पण करे।
मिथुन राशि - केसर मिश्रित चंदन ,अनार की पत्तियां , मूंग का हलवा , मां को अर्पण करें।
कर्क राशि - कपूर मिश्रित चंदन,सफेद कमल के फूल ,मखाने की खीर मां को अर्पण करें।
सिंह राशि - लाल कमल का फूल ,कुमकुम ,केसर एवम् गुड़ से बने व्यंजन मां को अर्पण करें।
कन्या राशि - बिल्व पत्र ,लाल चंदन , चावल,मूंग के लड्डू,एवम् गुड़ धनियां मां को अर्पण करें।
तुला राशि - श्वेत चंदन,अखंड चावल,श्वेत कमल पुष्प एवम् चावल की खीर मां को अर्पण करें।
वृश्चिक राशि - कनेर का लाल पुष्प, चावल, शहद मां को अर्पण करें।
धनु राशि - पित चंदन, कनेर का पीला पुष्प, बेसन का लड्डू एवं नागकेसर मां को अर्पण करें।
मकर राशि - अपराजिता का पुष्प,नीला कमल, उड़द के मीठे बड़े, पित चंदन मां को अर्पण करें।
कुंभ राशि - कपूर युक्त पित चंदन , जासवनती के पुष्प एवम् रजनीगंधा के पुष्प, बादाम का हलवा मां को अर्पण करे।
मीन राशि - सूर्यमुखी का पुष्प , पित चंदन एवं पुरनपोली मां को अर्पण करे।
नवरात्रा अंधकार का नाश करके ज्ञान की तरफ बढ़ने वाला शक्ति का महापर्व है। शक्ति के बिना संसार की कल्पना करना भी असंभव है। शिव भी शक्ति के बिना शव के समान है। शक्ति की उपासना के पर्व पर शक्ति की उपासना सुख, समृद्धि एवं शांति के लिए की जाती है। यूं तो वेद पुराण तंत्र में शक्ति उपासना के कई विधान एवम् पूजा पद्धतियां है।पर हमारे पाठको के लिए सरल पूजा विधान पुराणों से उद्धत कर लिखा जा रहा है।अभिस्ट मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मां जगदम्बा को नौ दिनों तक अलग-अलग चीजों का भोग लगाएं। लाल चंदन, अखंड चावल, बिल्वपत्र लाल पुष्प से माँ का पूजन करे एवं गो घृत का दीपक लगाएं एवम् तिथियों के अनुसार भोग लगाए -
तिथि - वस्तु - फल
प्रतिपदा - गो घृत- निरोगता
द्वितीया - शक्कर - दीर्घायु
तृतीय - दूध - दुखों से निवृत्ति
चतुर्थी - मालपुआ- विघ्नों का नाश
पंचमी - केला - बुद्धि का विकास
षष्ठी- मधु- सुंदर व्यक्तित्व
सप्तमी- गुड़ - शोक से मुक्ति
अष्टमी - नारिकेल - संताप का निवारण
नवमी - धान का लावा - सर्व सुख
अश्विन मास में मां भगवती को खीर का भोग लगाने का विशेष महत्व है। सुगंधित धूप भी मां के समक्ष करना चाहिए। किसी भी योग्य ब्राह्मण से दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं मां भगवती का पूजन करवाना चाहिए। ज्यादा ना हो सके तो स्वयं दुर्गा चालीसा का पाठ, दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम पाठ , एवम् दुर्गा त्रिशमनी माला मंत्र का पाठ स्वयं करे।प्याज , लहसुन , मांस,अंडे, व किसी भी तरह का नशा ना करे। मंदिर पंडालों में भीड़ ना लगाएं। मास्क लगाए एवं सामाजिक दूरी का पालन करें।अपने घरों पर ही देविका पूजन करे एवम् कोराना से मुक्ति की लिए मां से प्रार्थना करे।*
*पँ कपिल शर्मा काशी*
addComments
एक टिप्पणी भेजें