प्रशासन नाम ओपन करे कोरोना संक्रमित मरीजों का...- दिनेश सोलंकी, पत्रकार

*प्रशासन नाम ओपन करे कोरोना संक्रमित मरीजों का...*

ये समझ से परे है कि प्रशासन कोरोना संक्रमित मरीजों के नाम पते छुपाकर केवल हीनट्स और डाटा दे रहा है। यह जानते हुए की ये बीमारी *बेहद खतरनाक* है और एक दूसरे के छूने भर से या सम्पर्क में आने से ही फैल रही है। यह विचारणीय है कि ऐसे में किसको पता चलेगा कि फंलाने मरीज के पास पिछले सात- आठ दिनों में कौन- कौन सम्पर्क में रहा होगा? यदि सम्बंधित मरीज का खुलासा होगा तो वो आदमी भी सम्हल जाएगा जिसे नाम पता मालूम होते ही वह अपनी रक्षा करने लिये खुद ब खुद आइसोलेट हो जाएगा या जांच करवा लेगा। इससे प्रशासन को भी सहूलियत हो जाएगी कि वास्तव में संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने वाले कौन- कौन हो सकते हैं। यह उल्लेखनीय है कि मानवता कहती है कि ऐसी बिमारी से त्रस्त व्यक्ति का नाम पता छुपाना चाहिये ताकि उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके, लेकिन राष्ट्रीय चिंता की बात यह भी तो है कि जब बिमारी ही इतनी घातक है तो फिर इसके मरीज की पहचान को *गोपनीय* रखकर क्या हम उससे बड़ा खिलवाड़ समाज के सामने नहीं कर रहे हैं ? जिसे पता ही नहीं कि अमुक व्यक्ति, अमुक संक्रमित व्यक्ति के नजदीक ही रह रहा है या रहा है और वह भी इस खतरे को जाने बगैर घर परिवार और समाज में उठ बैठ रहा है।
अभी -अभी सोशल मीडिया पर एक पाकिस्तानी न्यूज में यह बात पता चली है कि पाकिस्तान ने कराची में ८० एकड़ जमीन अतिरिक्त कब्रगाह के लिये कोरोना महामारी को देखते हुए ग्रहण की है। इस न्यूज में उसका रिपोर्टर देश के पहले मरीज का नाम पता भी बिल्कुल साफ साफ बताता  है। ये उचित भी है कि कोरोना संक्रमित के मरीज के बारे में आम और खास को इसकी सूचना होनी चाहिये। अभी शासन प्रशासन किसी भी संक्रमित मरीज का पता चलते ही भाग दौड़ कर उसके परिवार/परिचितों  की जांच में जुट जाता है। लेकिन प्रश्न उठता है कि इस बीच वो संक्रमित मरीज कहाँ -कहाँ गया होगा और किस- किस से मिला होगा, इसके बारे में शासन -प्रशासन को एकदम से पता चलना संभव ही नहीं होगा। जबकि वही व्यक्ति ज्यादा जानता है जो उससे पिछले ७-८ दिनों में मिला हो, लेकिन ऐसा तब, जब उसे उसके बारे में खुलासा हो।                 नाम पता छुपाकर रखी गई जानकारी से तो सरकारी तंत्र को भी भान नहीं होगा कि इससे संक्रमित कौन- कौन किस कोने में होंगे, वो तो अंधेरे में तीर चला कर लोगों के पास तक पहुँचते रहेंगे, तब तक तो बहुत देर हो चुकी होगी? उदाहरण के लिये मरकज में शामिल लोगों की वो सूची उजागर करनी चाहिये जिसमें शामिल लोग हर राज्य में पहुंचे हैं। इनके बारे में पता चलते ही उससे नजदीक आने वाले लोग कम से कम सावधान तो हो सकेंगे।                        फाइनली, यदि नाम ओपन नहीं होगा तो ये लॉक डाउन भी *बेमियाद* चलता रहेगा, क्योंकि इसके मरीजों के न खत्म होने का सिलसिला तो कोई रोक ही नहीं पायेगा। ये बीमारी भी *मौत की लॉटरी*  की तरह ही खुलती रहेगी! केन्द्र और राज्य सरकारों को इस मामले में गम्भीरता से निर्णय लेना चाहिये कि वें कोरोना संक्रमित मरीज के नाम पते का खुलासा करे ताकि आम और खास आदमी सचेत हो सके। 
- *दिनेश सोलंकी, पत्रकार


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