सीएम कमलनाथ ने बुलाई आपात बैठक, बजट सत्र हो सकता है स्थगित

*सीएम कमलनाथ ने बुलाई आपात बैठक, बजट सत्र हो सकता है स्थगित*
*- मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार के दिन कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है*
*- 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में फ्लोर टेस्ट को लेकर दोनों ही दलों के बीच मची है खींचतान* 
*- बीजेपी चाहती है विधानसभा में फ्लोर टेस्ट किया जाए, वहीं सरकार इससे बचने के प्रयास में दिख रही*
भोपाल। सिंधिया खेमे के 6 मंत्रियों को पद से बर्खास्त करने के बाद अब मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी सरकार बचाने के लिए रविवार के दिन भी कैबिनेट की बैठक आयोजित कर रहे हैं। कोरोना वायरस के कहर से जहां दुनिया के सभी देश प्रभावित हुए हैं, वहीं एमपी की सियासत भी कोरोना वायरस से प्रभावित होती मालूम पड़ रही है। यही वजह है कि मध्य प्रदेश सरकार को बचाने के लिए विधानसभा का बजट सत्र स्थगित करने का प्रस्ताव कल कैबिनेट की बैठक में रखा जा सकता है।
*केंद्र सरकार से जारी हुई एडवाइजरी का हवाला*
गौरतलब है कि 16 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होना है। इस बजट सत्र में फ्लोर टेस्ट को लेकर दोनों ही दलों के बीच खींचतान मची हुई है। बीजेपी चाहती है कि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट किया जाए तो वहीं सरकार इस फ्लोर टेस्ट से बचने के प्रयास में दिख रही है। अगर फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनती है तो इससे सरकार पर संकट आ सकता है। ऐसे में सरकार रणनीति तैयार करने में जुटी है कि विधानसभा सत्र को ही स्थगित कर दिया जाए। कोरोना वायरस को लेकर केंद्र सरकार से जारी हुई एडवाइजरी का हवाला देते हुए सरकार विधानसभा सत्र को स्थगित करने के प्रयास में है।
*बढ़ाया जा सकता है विधानसभा का सत्र*
मंत्री पीसी शर्मा की मानें तो केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है कि किसी भी पब्लिक गैदरिंग प्लेस के आयोजनों को रद्द किया जाए, ताकि संक्रमण का खतरा ना हो। विधानसभा में भी प्रदेशभर से कई लोग पहुंचते हैं, जिनमें संक्रमण का खतरा बना रहता है। इस खतरे से बचने के लिए संभव है कि विधानसभा का सत्र आगे बढ़ाया जाए।
*बीजेपी बोली-*
इस संबंध में बीजेपी का कहना है कि कोरोना वायरस से ज्यादा डर सरकार को अपनी संख्या बल को लेकर है। बहुमत खो चुकी सरकार विधानसभा सत्र को आगे बढ़ाने की बात कर रही है। हालांकि इन तमाम राजनैतिक दांवपेचों के बीच सीएम कमलनाथ काफी कॉन्फिडेन्ट हैं। उनका कहना है कि सरकार अगले 10 सालों तक और चलेगी, लेकिन ‘विधायक बचाओ’ मुहिम भी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।


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