डॉक्टर दुबे का यह फैसला कि वे गांव में इलाज करेंगे कितना सही निकला---आकाश कोहली

*एक डॉ. का सही फैसला*        


             


गांवों में चिकित्सा की कितने गए गुजरे हालात है ये सबूत आज महू से महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम मलेंडी से पता चल गए। मलेंडी आदिवासी पंचायत है। महू गेटवेल नृसिंग होम के डॉ विवेक दुबे ने कोरोना वायरस के मद्देनजर स्वेच्छा से तय किया था वें ग्रामों में आज से सेवाएं देंगे, उनकी सोच सही साबित हुई। उन्होंने 5 गावों का दौरा कार्यक्रम जमाया था, मगर पहले ही गांव मलेंडी में जब चिकित्सा सेवा शुरू की तो एक के बाद एक मरीज आना शुरू हो गए।हालांकि वें सभी प्रकार की बीमारी से पीड़ित थे लेकिन यह महसूस हुआ कि कोरोना को लेकर जो बैचेनी आम लोगों में है वो साधारण और असाधारण मरीजों में भी है। 5- 6 पेशेंट से शुरू हुआ सिलसिला 115 तक जा पहुंचा। खबर लिखते लिखते भी यहां मरीजों की कतार लग रही है। अच्छी बात यह भी है कि गांव में स्त्री पुरुष के अलावा बच्चे भी मास्क पहने दिखाई दिए। लोग शांति से डॉ दुबे को अपनी पीड़ा बता रहे हैं। यह भी पता चल रहा है कि महीनों हो जाते हैं यहां डॉक्टर नहीं आते। आज के केम्प में सहयोग के लिए डॉ राकेश सिंह, मयूरी चौहान भी शामिल है।


 


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