इंदौर के बदलते माहौल पर पत्रकार अंकुर जायसवाल का एक मार्मिक लेख

बंबई का बच्चा कह लाने वाला इंदौर अब पेरिस का बच्चा बनता जा रहा है। प्रेमी-प्रेमिका, ब्वॉय - गर्ल फ्रेंड, घूमना घूमाना और शापिंग, होस्टल और शहर के आसपास के रमणीय स्थानों पर ॅलडके लडकियों की पिकनिक और वहां मुंह काला करने की सुविधाएं, देर रात तक मादक संगीत के बीच दारु पिलाने वाले पब जो आधी रात पुलिस और आबकारी विभाग की मदद से खुले रहते हैं। लडकियां ज्यादा ही लडखलाने लगे उन्हें होस्टल तक पहुंचाने के लिए तत्पर पुलिस। जेविका पंवार की आत्महत्या से इंदौर में अपने बच्चों को पढने के लिए भेजने वाले पालकों पर कोई असर नहीं होगा। कारण यह है कि इसके पहले भी कई छात्र छात्राएं आत्महत्या कर चुके हैं। यह सिलसिला चला आ रहा है। ऐसी घटनाएं अखबारों में छपती हैं लेकिन पालकों पर इनका असर नहीं होता। वे इंदौर जैसे शहर में अपने बच्चों को उच्च शिक्षित करने भेज तो देते है लेकिन इसके बाद वे ये ध्यान देने में चूक जाते हैं कि उनके बच्चे इंदौर में पढाई लिखाई कर रहे हैं या मौज मस्ती।
       पत्रकार हूं। शहर की घटनाओं पर बारिक निगाह रखता हूं।इंदौर देश का चुनिंदा एज्युकेशन हब हो चला है। पूरे मप्र से हजारों बच्चे यहां पढने आते हैं। इंदौर आते ही उनकी आंखें चौंधिया जाती है। युवाओं को यहां मौज मस्ती के सारे साधन और सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं। सबसे पहले तो उन्हें मिलते हैं ब्वाय या गर्ल फ्रेंड। घूमते घुमाते वे साथ रहने लग जाते हैं। मजा यह है पालक समझते हैं कि उनके बच्चे इंदौर में पढ रहे हैं। वे जो पैसा भेजते हैं वह सब यहां अय्याश पर उडाते रहते हैं। जब इनके बीच ब्वॉय या गर्ल फ्रेंड बदलने के विवाद होते हैं तो ये बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठाने से नहीं चूकते हैं। मेरा आकलन है इंदौर में हर महीने ऐसी तीन से चार आत्महत्या हो रहीं हैं जो समाज के लिए गंभीर खतरे का संकेत हैं।
     यहां एक तथ्य और है। पढ़ाई लिखाई के नाम पर हो रही ये अय्याशियां सब इंदौर के बाहर से आने वाले बच्चे कर रहे हैं। इंदौर निवासी बच्चे इसमें शामिल नहीं हैं। शराब। ड्रग्स। मोबाइल फोन पर आसानी से उपलब्ध पोर्न वीडियो और स्वतंत्रता स्वच्छंदता ने पढने वाले बच्चों के मस्तिष्क 'करप्ट' कर दिए हैं।
   एक बात और बता दूं। इंदौर में बाहर आने वाले छात्र छात्राओं की बढती संख्या को देखते हुए इंदौर में ऐसे गिरोह सक्रीय हो चले हैं जो इन्हें अय्याश की सारी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। बदले में इनसे मोटी कमाई कर रहे हैं। अभी पिछले सप्ताह ही भेरू घाटे में पुलिस ने दबिश देकर कयी छात्र छात्राएं धराए। ये सब नशे में टुन्न थे। पकडे जाने पर सब मुंह छुपाते और बडे घर का हवाला दे रहे थे। जाहिर है ऐसी रेव पार्टी बिना मोटी रकम के नहीं हुई होगी।
   पिक्चर खतरनाक है। पालकों को जागरूक होना जरूरी है। शहर के शैक्षणिक संस्थान बच्चों का भविष्य बनाने का करने में जुटे हैं वहीं दूसरी और हराम का पैसा कमाने के लिए शराब ड्रग्स सेक्स उपलब्ध कराने वाले गिरोह भी सक्रिय हो चले हैं।अभिभावक अपने बच्चे की लाश लेकर इंदौर से जाता है तो वह वास्तविकता जानकर हतप्रभ रह जाता है। बच्चों के प्रति चूक और लापरवाही परिवार पर भारी पड जाती है। जेविका और उसके परिवार के साथ भी यही हुआ है।


 


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