मुंबई में 'राम' लिखे बकरे को बिक्री के लिए लाया गया था मंडी: घृणास्पद कृत्य, विकृत मानसिकता की परिचायक है ये घटना-- ऐसे लोग कहां से लाते हैं इतनी घिनौनी सोच?

मुंबई: ईद के पावन अवसर पर एक अमानवीय और घृणास्पद घटना सामने आई है, जिसमें मुंबई के एक कसाई ने एक बकरे पर 'राम' लिखकर उसे मुसलमानों को कुर्बानी के लिए बेचने के लिए मंडी में ले जाया। यह घटना केवल हिन्दू धर्म और भगवान राम के प्रति अनादर को दर्शाती है, बल्कि समाज में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने की एक निंदनीय कोशिश भी है। 

यह घटना हमारे संविधान के मूल्यों का घोर अपमान है, जो सभी धर्मों और उनकी मान्यताओं का समान सम्मान करता है। डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा निर्मित हमारे संविधान ने हमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है, जिसका अर्थ है कि किसी भी धर्म या उसके प्रतीकों का अपमान करना गैरकानूनी और गलत है।

यह घटना उन लोगों की घृणास्पद मानसिकता को उजागर करती है जो अपने पूर्वाग्रहों और नफरत को दूसरों पर थोपने की कोशिश करते हैं। हमें यह समझना होगा कि एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करना और सभी धार्मिक प्रतीकों के प्रति संवेदनशीलता दिखाना ही हमारे समाज की सुंदरता है। हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां संविधान के तहत सभी धर्मों और उनकी मान्यताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर द्वारा दिए गए हमारे संविधान ने हमें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है, जिसका मतलब यह है कि किसी भी धर्म का अनादर करना या उसके प्रतीकों का अपमान करना असंवैधानिक और गलत है।

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे कुछ लोग अपने नफरत और पूर्वाग्रह को दूसरों पर थोपने की कोशिश करते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि एक दूसरे के धर्म का सम्मान करना और सभी धार्मिक प्रतीकों के प्रति संवेदनशीलता बरतना ही हमारे समाज की खूबसूरती है।

    


सराहनीय कार्रवाई, सियासत से इतर नजरिया:

गौरतबात यह है कि शिवसेना (शिंदे) और बीजेपी की सरकार होते हुए नगर निगम ने तत्परता दिखाते हुए इस कसाई की दुकान को सील कर दिया है और उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी है।** यह सराहनीय कदम है, जो बताता है कि धार्मिक सम्मान से जुड़े मामलों में राजनीति से इतर कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। यदि कांग्रेस, राकांपा या उद्धव ठाकरे सत्ता में होते, तो क्या पता, इस मांस विक्रेता को इनाम भी मिल जाता!



नफरत की जड़ें और सहिष्णुता का असंतुलन:

सवाल उठता है कि ऐसे लोग आखिर किस मानसिकता से हिन्दू धर्म के प्रतीकों का अपमान करने का दुस्साहस करते हैं? यह पूर्वाग्रहों और घृणा से ग्रसित एक संकीर्ण सोच है। भारत एक बहु-सांस्कृतिक देश है, जहाँ हर धर्म को सम्मान मिलना चाहिए। क्या सहिष्णुता सिर्फ हिन्दुओं का धर्म है? क्या मुसलमान समुदाय अन्य धर्मों के लिए सम्मान का भाव नहीं रख सकता?


भारत: बहुआयामी राष्ट्र, असहनीय लक्ष्य:

हमारा देश बहुसंख्यक समुदाय होते हुए भी अनेकों धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का संगम है। यह विडंबना ही है कि ** सदियों से बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय ही लगातार लक्षित होता रहा है।** यह प्रवृत्ति समाज के ताने-बाने को खत्म करने का काम करती है।


संविधान और राष्ट्रीय धर्म का पाठ:

संविधान और हमारे राष्ट्रीय धर्म 'सर्वधर्म समभाव' का पाठ पढ़ते हुए, हम इस मांस विक्रेता जैसे लोगों को स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि वे अपने घृणास्पद कृत्यों से देश की एकता को नहीं भंग कर सकते। आइए मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करें जहाँ सम्मान का भाव परस्पर हो और धर्म किसी के लिए भी हिंसा या घृणा का कारण न बने।


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