बिल्कुल भी दम नहीं है भाजपा और संघ के बीच दूरी या नाराजगी की चर्चाओं में.., पूरी तरह संघ के एजेंडे पर चलने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी

 


मिलिंद मजूमदार, महू 

- खुद 14 वर्षों तक संघ के प्रचारक और 16 वर्षों तक भाजपा के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे हैं, संघ और पारिवारिक संगठनों के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा मौके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ही मिले 

- अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, धारा 370 का खात्मा, तीन तलाक, नागरिकता संशोधन कानून, महिला आरक्षण, एनआरसी और रोहिणी आयोग को गठित करने वाले पहले प्रधानमंत्री 

- ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर भी संघ के एजेंडे को पूरा किया, उत्तर पूर्व के राज्यों में राष्ट्रवादी शक्तियों का आधार बढ़ाना भी संघ का प्रमुख एजेंडा रहा है, हिंदू तीर्थों का जीर्णोद्धार और वहां भव्य कॉरिडोर बनाना भी संघ के एजेंडे पर चलना है

भोपाल 15 जून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के बीच दूरी तथा नाराजगी की चर्चाएं लगातार जारी हैं। हालांकि इन चर्चाओं में बहुत अधिक दम नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संघ की नाराजगी का सवाल इसलिए पैदा नहीं होता क्योंकि नरेंद्र मोदी भारतीय संसदीय इतिहास के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो पूरी तरह से संघ के एजेंडे पर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 14 वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। जबकि 16 वर्षों तक उन्होंने भाजपा में पूर्णकालिक कार्यकर्ता यानी संगठन मंत्री की हैसियत से काम किया है। 1987 में जब उन्हें भाजपा में गुजरात का प्रदेश संगठन मंत्री बनाकर भेजा गया था, उस समय वो गुजरात संघ प्रांत के संपर्क प्रमुख थे। 1982 में उन्होंने बड़ौदा विभाग प्रचारक के रूप में भी काम किया है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा और कार्य पद्धति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मा में है। उनके संपूर्ण जीवन और कार्यशैली में संघ की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री रहते हुए संघ और पारिवारिक संगठनों के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को जितने मौके दिए उतने पहले किसी भी भाजपा के शिखर नेता ने नहीं दिए। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, ओम प्रकाश माथुर इसके उदाहरण हैं जो संघ के प्रचारक रह चुके हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से निकले भाजपा नेताओं, पूर्व तथा वर्तमान केंद्रीय मंत्रियों की तादाद भी बहुत अधिक है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्तर पर पदाधिकारी के रूप में महत्व पाने वाले ऐसे कई नेता हैं जो विद्यार्थी परिषद या संघ के दायित्व वान कार्यकर्ता रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ के एजेंडे पर चलते हुए अनेक ऐसे कार्य किए हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कश्मीर से धारा 370 को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण ऐसे ही कार्यों की श्रेणी में रखे जा सकते हैं। भारतीय जनसंघ के समय से समान नागरिक संहिता भाजपा और संघ का प्रमुख एजेंडा रहा है। प्रधानमंत्री ने तीन तलाक पर कानून लाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ की जान लगभग निकाल दी है। अब समान आचार संहिता लागू किए बिना बहु विवाह के खिलाफ कानून लाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ को पूरी तरह से बेजान बनाने की तैयारी किए जाने की संभावना है। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी, महिला आरक्षण, ओबीसी कमिशन को संवैधानिक दर्जा देना, सामान्य वर्ग के गरीब वर्गों को 10 फ़ीसदी आरक्षण, अति पिछड़ों के लिए रोहिणी कमिशन बनाना और अयोध्या, काशी, महाकालेश्वर के मंदिरों का जीर्णोद्धार तथा वहां भव्य कॉरिडोर बनाने जैसा काम भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र और राज्य सरकारों ने किया है। यह सभी कार्य संघ के एजेंडे में रहे हैं। आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जितने अधिक कदम प्रभावी तौर पर उठाए हैं, वैसा पहले कभी नहीं किया गया। सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करने का साहस भी इसी सरकार ने किया है। पूर्वोत्तर के राज्यों में राष्ट्रवादी शक्तियों का आधार बढ़ाना संघ का महत्वपूर्ण एजेंडा रहा है। इस पर भी प्रधानमंत्री गंभीरता के साथ चले हैं। यही वजह है कि पूर्वोत्तर के सात राज्यों और असम में आज भाजपा मजबूती के साथ खड़ी है। पूर्वोत्तर के राज्यों के सबसे ज्यादा दौरे करने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अव्वल नंबर पर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर 70 से ज्यादा दौरे पूर्वोत्तर राज्यों के किए हैं। बीएसएफ, सीआरपीएफ, एनआईए और एनएसजी जैसे अर्ध सैनिक दलों को जितना मजबूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बनाया है उतना पहले कभी किसी ने नहीं किया। तीनों सेनाओं के सशस्त्रीकरण और आधुनिकीकरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितने प्रयास किए उतने पहले कभी किसी ने नहीं किए। इन सभी कार्यों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से चाहता रहा है। जाहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पूरी तरह से संघ के एजेंडे पर चली है। ऐसे में भाजपा और संघ के बीच दूरी आना या संघ का नाराज होने जैसा नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश महज हवा में लठ्ठ चलाने जैसा कार्य है। यह जरूर है कि भाजपा के कतिपय नेताओं की फंक्शनिंग और संगठन के पदाधिकारियों की कार्यशैली पर कुछ शिकायतें हो सकती हैं, जिनके निराकरण का सिस्टम पहले से ही बना हुआ है। इसलिए जल्दी ही नए भाजपा अध्यक्ष के चयन के बाद परिवर्तन दिखेगा और इस तरह की तमाम अटकलें अपने आप समाप्त हो जाएंगी।

संघ प्रमुख ने जो कहा वो सब अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के प्रस्ताव में है। संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत के नागपुर संबोधन की लगातार राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा है। हालांकि अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने जिन बातों की ओर इशारा किया या उनकी जिन बातों को लेकर सुर्खियां बनाईं जा रही हैं, वो सभी बातें मार्च में संपन्न संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के प्रस्ताव में शामिल हैं। 

 डॉ मोहन भागवत ने जिस संदर्भ में ‘सेवक’, ‘मर्यादा’ और ‘अहंकार’ सरीखे शब्दों का इस्तेमाल किया है, वे प्रत्यक्ष रूप से नागपुर में तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण ले रहे विस्तारकों और युवा प्रचारकों के लिए थे। दरअसल, संघ-प्रमुख ने कार्यकर्ताओं के विकास वर्ग कार्यक्रम के समापन पर अभिभावकीय मुद्रा में संबोधित किया, तो वह पूरी राजनीतिक और सामाजिक संस्कृति को आगाह कर रहे थे। अहंकार छोड़ कर काम करना चाहिए और काम के बदले अहंकार नहीं करना चाहिए, वही ‘सच्चा सेवक’ होता है।सहमति से देश चलाने की परंपरा का स्मरण दिलाते हुए सरसंघचालक ने भाजपा को कुछ नसीहत दी है और चेताया भी है। मणिपुर के मामले में नागपुर की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में विस्तार से चर्चा हो चुकी है। जो बातें अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के प्रस्ताव में थी उन्हीं बातों को संघ प्रमुख ने अपने ताजा संबोधन में दोहराया मात्र है।

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