डाॅ हेडगेवार स्मारक समिति के तत्वावधान में हुई व्याख्यानमाला में सिने जगत की समाज परिवर्तन में भूमिका पर हुआ केरला स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन का उद्बोधन


*समय व समाज की मांग है कि यथार्थ को सामने लाया जाए।*

*कोई 100 करोड कमाने के लिए फिल्म बनाता है पर मैं 100 करोड को जगाने के लिए फिल्म बनाता हूँ - फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन*



विगत अनेक वर्षों से डाॅ हेडगेवार स्मारक समिति के तत्वावधान में "चिन्तन-यज्ञ" के अंतर्गत व्याख्यान माला का आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष समसामयिक विषयों पर देश के मूर्धन्य विद्वान वक्ता समाजोन्मुकी-समसामयिक विषयों पर अपना उद्बोधन देते हैं जिससे समाज को सही दिशा प्राप्त होती है ।

इस वर्ष व्याख्यान माला के पहले दिन शनिवार, 1 जुलाई को सायंकाल इन्दौर के डेली कालेज सभागृह में फिल्म -  केरला स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन का उद्बोधन हुआ । विषय था - *सिने जगत की समाज परिवर्तन में भूमिका*  , जिसकी चर्चा विगत वर्षों से समाज के बीच चल रही है ।



अपने उद्बोधन में सुदीप्तो जी ने कहा कि जब मैने अपनी पहली फिल्म द लास्ट मांक बनाई तब मुझे कोई नही जानता था , पर कान फिल्म फेस्टिवल में इसके सम्मिलित होने के बाद मुझे लगा कि भारत के 140 करोड़ में से प्रत्येक का सामर्थ्य है कि वो भी असंभव को संभव कर सकता है ।

केरला स्टोरी के बाद मुझे समझ में आया कि फिल्मे वास्तव में समाज परिवर्तन का प्रभावी माध्यम हैं। केरल स्टोरी बनाने के बाद से ही जब अनेक कानूनी व आर्थिक समस्याएं सामने आईं तो भय था कि फिल्म रिलीज भी हो पाएगी कि नहीं  ,  पर इसके रिलीज होने के दो माह में ही  जैसा प्रतिसाद समाज की ओर से आया तो विश्वास हो कि देश में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है। 

देश में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से एक वामपंथी विचारधारा कार्य करती है जो यह समझती है कि आम जनता को वो जैसा बताऐंगे वही मान्य हो जाएगा । भारतीय सिनेमा को संभवतः इसीलिए बॉलीवुड के नाम से चलाया भी जाता है ।

परंतु अब जैसे जैसे आम व्यक्ति जागरूक हो रहा है , वैसे वैसे ही यथार्थ का यथोचित चित्रण करने वाली फिल्में बन रही हैं। अगर राजनीति के बड़े लोग कश्मीर फाइल्स व केरल स्टोरी जैसी फिल्मों से विचलित हो रहे हैं तो इसका मतलब है हमारी इन फिल्मों का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। 

मैने इस फिल्म से 300 करोड अवश्य कमाए है , पर आज भी मैं  300 रुपय की शर्ट पहनता हूँ  , क्योंकि मेरा उद्देश्य देश के लोगों को सच बताकर जगाना है ।

इस फिल्म को जहाँ कुछ लोगों ने प्रोपोगेण्डा कह कर दुष्प्रचारित किया , वही असल में यह फिल्म केरल में हाऊस फुल कल रही है , हैदराबाद में इसने 23 करोड की कमाई की है और बिहार में लोगो ने इसे बेहद पसंद किया है ।

आज इस विषय पर समाज में खुलकर चर्चा होने लगी है ।

जिन 3.5 करोड लोगो ने यह फिल्म देखी है , वे ही इस विमर्श को बाकी समाज तक लेकर जा रहे हैं। 

अब एक वर्ग विशेष कन्टेन्ट पर कन्ट्रोल नही रखेगा , समाज अपना एजेंडा खुद निर्णीत करेगा । भारत में आगे जो फिल्म बनेगी उन पर समाज की सोच दृष्टि गत होगी , कोई भी एक विशेष  विचारधारा अब काम नहीं करेगी ।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर हुआ ।

विषय प्रस्तावना रखते हुए श्री विनय पिंगले ने कहा आज समाज के महत्वपूर्ण मुद्दे नई फिल्मों के माध्यम से सार्थक हो रहे है और समाज को सही दिशा दिखा रहे है ।



अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में शहर के प्रख्यात फिल्म निर्माता देवेन्द्र मालवीय ने कहा कि मैं सुदीप्तो सेन जी को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने अफगानिस्तान और सीरिया के मरुस्थल में दफन भारत की बेटियों की व्यथा समाज के सम्मुख प्रस्तुत की ।

कार्यक्रम में  विशेष अतिथि के रूप में , डेली कालेज प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष विक्रम सिंह पंवार की उपस्थिति रही ।

कार्यक्रम का संचालन श्री अभिराम भिसे ने किया तथा आभार श्री सुजीत सिंहल ने व्यक्त किया ।

एकल गीत सुश्री तान्या पहाड़े ने लिया ।

कार्यक्रम का समापन सुश्री शालिनि गुप्ता के द्वारा  वन्दे मातरम् से हुआ।

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