यशवंत जैन, चन्द्रशेखर आज़ाद नगर
महिदपुर रोड हर व्यक्ति के जीवन में एक गुरु रहता ही है ।गुरु ही हमें सन्मार्ग की राह बताता है। संसार मैं गुरु के स्थान को भगवान से भी बड़ा बताया गया है भगवान तक पहुंचने का मार्ग भी हमें गुरु ही बताते है। जिसके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं। जहां हमारा कनेक्शन होता है वही रिएक्शन होता है हमारा किसी से लगाव वह प्रेम है वहां उसके गलत कार्य से हम पर भी उसका असर होता है ।
पूज्य साध्वी जी ने कहा कि सुपात्र दान देने से व्यक्ति के भव भव सुधर जाते हैं सुपात्र दान के प्रभाव से संगम भी शाली भद्र बने।सुपात्र दान देते समय मन में यह भाव होना चाहिए कि मैं सुपात्र कब बनूंगा ।चारों भव मनुष्य ,नरक, देव भव में से मनुष्य भव ही एक ऐसा भव है जहां हम धर्म को सुन भी सकते हैं समझ भी सकते हैं और आचरण में भी ला सकते हैं इसी कारण से मनुष्य भव को श्रेष्ठ भव का है क्योंकि देवता भी मनुष्य भव को पाने के लिए तरसते हैं उक्त धर्म उपदेश मंगलवार को धर्म सभा में परम पूज्य साध्वी डॉ अमृत रसा श्री जी महाराज साहब के जिनवाणी का रसपान कराते हुए उपस्थित समाज जनों से कहे। उक्त जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी सचिन भंडारी ने दी
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