आशीष यादव, धार
धार। बस स्टैंड विस्तारीकरण के लिए 5 करोड़ की राशि स्वीकृत होने के बाद क्षेत्र में राज्य परिवहन निगम के टिकिट काउंटर क्षेत्र के दुकानदारों से किरायेदारी और कब्जे को लेकर दस्तावेज मांगे गए हैं। रविवार को नगरपालिका के अमले ने दुकानदारों से मुलाकात कर दस्तावेज सौंपने के लिए कहा है। दस्तावेजों के आधार पर नगरपालिका वास्तविक स्थितियों की जानकारी जुटाएगी। यह भी देखा जा रहा है कि दुकानें दूसरों को आवंटित थी, लेकिन उन्होंने किसी तीसरे को कब्जा सौंप दिया। चूंकि राज्य परिवहन निगम बंद हो चुका है। संपत्ति नगरपालिका क्षेत्र के अंदर है और लाखों का संपत्तिकर बकाया है। ऐसी परिस्थिति में निकाय इन दुकानों को लेकर कोई महत्वपूर्ण कदम भी उठा सकती है। सबसे मुख्य बात यह है कि यात्री प्रतीक्षालय के सामने स्थित करीब 10-12 दुकानों के मार्केट के दुकानदारों से भी दस्तावेज मांगे गए हैं। यह मार्केट भी परिवहन निगम का बताया जा रहा है। इसी मार्केट में दुकानों के आगे टीन शेड पर अतिक्रमण हटाने के दौरान कार्रवाई नहीं होने से निष्पक्षता पर सवाल उठे थे।
दस्तावेजों से पता चलेगा वास्तविक क्षेत्रफल
8 दिन पूर्व नगरपालिका द्वारा बस स्टैंड पर की गई अतिक्रमकण हटाने की मुहिम के बाद आम लोग कार्रवाई की प्रशंसा कर रहे हैं। वहीं प्रभावित लोग अब कार्रवाई की निष्पक्षता पर सवाल उठाने लगे है। दरअसल कारवाई के दौरान दुकान की हद से आगे धूप-बारिश से बचाव के लिए लगे एक-दो फीट के शेड भी हटा दिए गए थे। वहीं बस स्टैंड के पिछले हिस्से में दुकानों के आगे बने 8 से 10 फीट के टीन शेड नहीं हटाए गए। इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं कि कार्रवाई में भेदभाव क्यों। इधर इस तरह की नाराजगी को भांप कर कट्टरपंथी लोग भी सक्रिय हो गए हैं। इसे धार्मिक भेदभाव का आधार बताकर तुल दिया जा रहा है। दरअसल जहां से शेड नहीं हटाए गए है वहां पर अधिकांश रूप से वर्ग विशेष द्वारा संचालित दुकानें है।
डिपो के मार्केट में आवंटित दुकान के क्षेत्रफल के तुलनात्मक आधे से अधिक शेड अतिक्रमण किया गया है। इस बात में कोई शक नहीं कि टीन शेड यदि अतिक्रमण का भाग निकलते हैं और उन्हें हटाया जाता है तो बस स्टैंड पर करीब हजार से 1500 स्क्वेयर फीट की जमीन खुली हो जाएगी। इससे व्यवस्थाओं का बेहतर तरीके से सरलीकरण किया जाएगा।
इनका कहना है, दस्तावेज बुलवाएं है
राज्य परिवहन निगम अब बंद हो चुका है। बस स्टैंड क्षेत्र में जो दुकानदार यात्री प्रतीक्षालय के परिसर में व्यवसाय संचालित कर रहे हैं। उन्हें दस्तावेज मांगे गए हैं। किराया किसे दिया जा रहा है, संपत्तिकर कब से नहीं दिया है। किराया कब से नहीं दिया है। कब्जा किसका है आवंटन किसका है ऐसी तमाम जानकारियां जुटाई जा रही है। यह सब हमारी कार्य व्यवस्था का एक हिस्सा है।
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