आशीष यादव, धार
आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद में मेरे जीवन में बहुत बदलाव आया है। अब मैं अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दे पा रही हॅु और परिवार के साथ बहुत खुश है। यह कहना है जिला मुख्यालय से 13 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम सांभर की अमरीन पति मुश्ताक का । अमरीन दीदी शादी करके जब ससुराल आई तब घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। अमरीन दीदी को मजदूरी करने दूसरों के खेतों मे जाना पड़ता था, उसकी सास के साथ मजदूरी करके जैसे-तैसे घर का खर्च चलता था। उसके पास आजीविका का दूसरा कोई साधन नहीं था। अमरीन दीदी के एक बालक व दो बालिकाए है। अमरीन दीदी के पति एक भैस पालक है। उसके पास आय का दूसरा कोई साधन नहीं था। उसी एक भैंस से व मजदूरी से घर का खर्च चलता था। जैसे -तैसे वेे महीने के 3-4 हजार रुपए वे कमा पाते थे। 2015 में अमरीन दीदी आजीविका मिशन से जुड़ी व समूह की बैठकों में भाग लिया तथा वहॉ उन्होंने जाना कि समूह से लोन लेकर आजीविका के कार्य किये जा सकते है और आजीविका के बहुत से कार्य कर घर की आर्थिक स्थिति सुधारी जा सकती है। अमरीन दीदी द्वारा समूह निर्माण करवाया गया जिसका नाम सहारा आजीविका स्व सहायता समूह रखा और साप्ताहिक बचत एवं बैठके शुरू की गई। अमरीन दीदी की आर्थिक स्थिति देखकर समूह से उन्हें प्रथम लोन के रूप ने 5 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई। उससे अमरीन दीदी द्वारा चूडी की दुकान खोली गई। दूसरी बार अमरीन दीदी द्वारा 15 हजार रुपये राशि का लोन समूह से प्राप्त किया जिससे उन्होंने अपने पति मुश्ताक को पंक्चर की दुकान खुलवायी। तीसरी बार समूह से 50 हजार रुपये का लोन लेकर किराना दुकान खोली और चौथी बार 1 लाख रुपये का लोन लेकर 4 भैंसे ली व भैंस का बीमा करवाया अब इन चारो गतिविधि से जुड़कर अमरीन दीदी की मासिक आय 10-15 हजार रुपए हो चुकी थी। अमरीन दीदी के कार्य को देखते हुए उन्हें आजीविका मिशन से जिला प्रशासन द्वारा तैयार किये जा रहे पोल्ट्री फार्म का एक शेड दिया गया जो कि मनरेगा से अभिसरण द्वारा तैयार करवाए गए है। जिसके लिए उन्होंने 2 लाख रु. राशि का समूह से ऋण लिया गया व उनके द्वारा प्रथम चरण में 2000 चिक्स ब्रायलर प्रजाति के डाले गए। पहले उनको लागत ज्यादा लगी इसलिए फायदा नहीं हो पाया। उनके द्वारा 45 दिवस पश्चात पुनः दूसरा शेड लेकर उसमे 2000 चिक्स ब्रायलर के डलवाए गए जिसमें उन्हें 81 हजार 600 रुपये का लाभ प्राप्त हुआ। इसके बाद उनके द्वारा 3 शेड ओर मांगे गये। उन्हें शेड दिये गये जिसमें उनके द्वारा 2000-2000 बायलर चिक्स और डाले गये, साथ ही एक शेड में कड़कनाथ के 546 बच्चे भी डाले गये है। उनके द्वारा अब कुल 4 शेड़ मे मुर्गी पालन का कार्य किया जा रहा है। अमरीन दीदी कहती है पोल्ट्री फार्म से उनकी आय में वृद्धि हुई और अब वे परिवार के साथ खुशहाल जीवन यापन कर रही है।
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