मजबूत विदेश नीति से भारत बनेगा महाशक्ति: वेद प्रताप वैदिक
स्वभाषा के विकास से ही मजबूत विदेश नीति संभव : प्रो.डी.के.शर्मा, कुलपति
महू। विश्वविद्यालय ज्ञान की सर्वोच्च संस्था होती है जहाँ से ज्ञान का सृजन होता है। विश्वविद्यालयों में हो रहे अनुसंधान से भारत को महाशक्ति बनाया जा सकता है। वर्तमान सन्दर्भ में भारत सरकार विदेश नीति पर सार्थक प्रयास कर रही है। हमें किसी भी भाषा की उपेक्षा नहीं करना चाहिए लेकिन अपने काम-काज में स्वभाषा को प्रमुखता देने की जरुरत है। दुनिया में स्वभाषा के साथ काम-काज करने वाले देशों ने अप्रत्याशित प्रगति की है। राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन करने वाले अध्येताओं को विशद अध्ययन कर सरकारों को सलाह देनी चाहिए ताकि देश उन्नति कर सके। उक्त बातें देश के जाने-माने राष्ट्रवादी विचारक, वरिष्ठ पत्रकार एवं विदेश-नीति विश्लेषक डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने डॉ. बी. आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में ‘वर्तमान संदर्भ में भारत की विदेश नीति’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में कही।
डॉ. वैदिक ने कहा कि आज भी हम सांस्कृतिक गुलामी में रहना चाहते हैं। दुनिया के विकसित हो रहे देश अपनी भाषा में बात-चीत करते हैं लेकिन हम अभी भी विदेश भाषा को प्रमुखता दे रहे है। वर्तमान सरकार ने भारतीय भाषाओं पर काम किया है और विदेश मंत्रालय अब उन देशों की भाषाओं पर काम करना शुरू कर दिया है जहाँ-जहाँ उनके राजनायिक काम कर रहे हैं। विदेश नीति की बुनियाद भाषा है। महात्मा गाँधी, राम मनोहर लोहिया अटल बिहारी बाजपेई ने भारतीय भाषाओं को बढ़ाने का काम किया तथा भाषा आन्दोलन से भी जुड़े रहे। महर्षि दयानंद ने भारत को आर्यावर्त कहा है, यह आर्यावर्त भारत ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक रूप से संबद्ध भौगोलिक परिक्षेत्र को कहा है। उन्होंने यूक्रेन और रूस की वर्तमान स्थिति पर कहा कि भारत की विदेश नीति बहुत संतुलित है। भले ही विभिन्न मामलों में यूक्रेन भारत के साथ नहीं था लेकिन हर मुद्दे पर रूस भारत के साथ रहा है फिर भी आज भारत से बड़ा मध्यस्थ कोई नहीं हो सकता है। भारत को महाशक्ति बनाने के लिए सभी की संयुक्त कोशिश करनी होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. बी. आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू के कुलपति प्रो. डी.के. शर्मा ने कहा कि हिंदी भाषा को समृद्ध करने के लिए विश्वविद्यालय ने हिंदी में काम-काज करने का संकल्प किया है। विश्वविद्यालय का राजनीति विज्ञान विभाग निरंतर शोध एवं अकादमिक गतिविधियों में उच्च प्रतिमान स्थापित कर रहा है। भारत की विदेश नीति को समझना आज के सन्दर्भ में अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक विज्ञान अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. डी.के. वर्मा तथा संयोजन डॉ. मोनिका यादव ने किया। इस अवसर पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी, अम्बेडकर विचार एवं दर्शन अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. देवाशीष देवनाथ, सहायक आचार्य प्रदीप कुमार, डॉ. कौशलेंद्र वर्मा, डॉ. धनराज डोंगरे, नमिता टोप्पो, राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक कारभारी, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. रामशंकर, डॉ. जितेंद्र वर्मा, डॉ. शैलेन्द्र मिश्र, आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. विशाल पुरोहित, डॉ. कृष्णा सिन्हा, खोबरागड़े, डॉ. बिंदिया तातेड़, डॉ. नवरतन बोथरा, डॉ. चेतना बोरीवाल सहित विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्य तथा विद्यार्थी, शोधार्थी मौजूद रहे।
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