बाल विज्ञान कथा संग्रह "नन्हा रोबोट" का विमोचन कार्यक्रम संपन्न

 "नन्हा रोबोट" में भविष्य का विज्ञान छिपा है-- वर्मा

     महू (इंदौर, मध्यप्रदेश) | अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त, वरिष्ठ विज्ञान काव्य- कथा लेखक, साहित्यकार, स्वतंत्र पत्रकार जगदीश प्रसाद तिवारी "नास्तिक" द्वारा प्रणयन कृति (पुस्तक) बाल विज्ञान कथा संग्रह "नन्हा रोबोट" के विमोचन का कार्यक्रम स्थानीय कैंटोंमेंट गार्डन के उन्मुक्त, हरे- भरे वातावरण, बसंती बयार के मन- भावन झोंकों के मध्य में स्नेहवत संपन्न हुआ.

    इस अवसर पर सेवा- निवृत्त शिक्षक भोला शंकर वर्मा, सेवा- निवृत्त पी.एफ. अधिकारी टी.एस. वर्मा, शिक्षा विद् राम कृष्ण माहेश्वरी,वरिष्ठ अधिवक्ता व भाजपा नेता उमेश कुमार चौरसिया, वरिष्ठ कवि, लेखक, पत्रकार, विचारक जगदीश प्रसाद चौहान तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.

कार्यक्रम के आरंभ में भोला शंकर वर्मा ने जगदीश प्रसाद तिवारी "नास्तिक" का पुष्प मालाओं से स्वागत कर अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि तिवारी जी ने साहित्य में गद्य- पद्य पर समान रूप से लेखनी चलाकर विज्ञान साहित्य के भंडार को समृद्ध किया है. गद्य-पद्य का समन्वय कर विज्ञान विषय पर लेखनी चलाना किलष्ट कार्य है. जबकि विज्ञान इनका विषय नहीं था. विज्ञान विषय पर लिखना इनकी बहुत बड़ी उपलब्धि है. नन्हा रोबोट नामक पुस्तक की बाल विज्ञान कथाएँ नि:संदेह विज्ञान के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करेंगी. उन बाल विज्ञान कथाओं में भविष्य का विज्ञान छिपा हुआ है.

      राम कृष्ण माहेश्वरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "नन्हा रोबोट" कृति को पढ़कर ऐसा लगा कि विज्ञान की विकास यात्रा का युग आरंभ हो गया है. विज्ञान के प्रति लोगों के मन में जो भ्रम भरा हुआ है, उक्त पुस्तक के पढ़ने से अंधविश्वास दूर होगा. उक्त पुस्तक विज्ञान साहित्य की अनमोल धरोहर है. तिवारी जी विज्ञान लेखक के रूप में अचछी ख्याति अर्जित कर चुके हैं.

       वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश कुमार चौरसिया ने विज्ञान लेखन के प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नन्हा रोबोट पुस्तक के लेखक जगदीश प्रसाद तिवारी जी को मैं विगत पचास वर्षों से जानता हूँ. उनकी रचनाओं को मैंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र- पत्रिकाओं में पढ़ा है. वे साहित्य में सशक्त हस्ताक्षर हैं. महू शहर में ऐसा कोई भी लेखक नहीं है, जो विज्ञान विषय पर अपनी साहित्यिक लेखनी चला रहा हो. वे गद्य- पद्य के द्वारा विज्ञान साहित्य पर लिखने में सिद्ध हस्त हैं. वे महू ही क्या, राष्ट्रीय गौरव हैं. मैं इनके लेखन कार्य, इनकी अंतर्राष्ट्रीय छवि को शत- शत प्रणाम करता हूँ.

       इसी प्रकार वरिष्ठ कवि, लेखक, पत्रकार, विचारक जगदीश प्रसाद चौहान ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि लेखक, कवि, दार्शनिक, कथाकार जगदीश प्रसाद तिवारी ने हिंदी साहित्य की समस्त विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है. तिवारी जी का ऐतिहासिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक है. तिवारी जी की विज्ञान कविताओं को मैंने भारत सरकार द्वारा प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय मासिक पत्रिका "विज्ञान प्रगति" में पढ़ा- देखा है. विज्ञान पर काव्य सृजन करना सरल नहीं है. इन्होंने "नन्हा रोबोट" नामक पुस्तक का सफल प्रणयन कर यह सिद्ध कर दिया है कि इनका हिंदी साहित्य के साथ- साथ विज्ञान साहित्य पर भी पूरा अधिकार है. इनकी बाल विज्ञान कथाएँ, जिनका संकलन "नन्हा रोबोट" पुस्तक में है, वे राष्ट्र स्तर की पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हो चुकी हैं. अगर ऐसे लेखक के समक्ष साहित्यिक उपेक्षाएं आएं तो चिंता का विषय है.

     अंत में आभार टी.एस. वर्मा ने व्यक्त कर तिवारी के साहित्य सृजन की भूरि- भूरि प्रशंसा कर कार्यक्रम का समापन किया. सभी नियमों का पूरा पालन किया गया. संलग्न चित्र पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का. 



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