सी बी एम ओ के संरक्षण में चल रहा है झोला छाप डॉक्टरों के अवैध क्लिनिक, सैकड़ो मरीजो की जान से होता है खिलवाड़

 चंद्रशेखर आजादनगर:- चंद्रशेखर आजाद नगर में स्वाथ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही है सीबीएमओ मंजुला चौहान की मनमानियों ओर निरंकुश रवैये के कारण पूरे ब्लाक में रोज सैकड़ो गरीब आदिवासी मजदूरों के स्वास्थ्य से झोला छाप डॉक्टर खिलवाड़ कर रहे है। पूरे ब्लाक में दर्जनों झोला छाप डॉक्टर ब्लाक मुख्यालय ओर ग्रामीण इलाकों में पूरी दमदारी के साथ अपना अवैध क्लिनिक संचालित कर रहे है ओर इन अवैध झोलाछाप डॉक्टरों को सीबीएमओ ओर स्थानीय स्तर पर लोगो का संरक्षण मिला हुआ है ।


 


हमारे पास मौजूद तथ्य ये बताते है कि किस तरह सीबीएमओ स्थानीय स्तर पर इन झोलाछाप डॉक्टरों को संरक्षण प्रदान कर रही है । 11 नवबंर 2017 को सीबीएमओ ने तत्कालीन एसडीएम राजेश मेहता के साथ ग्राम बरझर में झोलाछाप डॉक्टर निहार विस्वास के क्लीनिक पर बड़ी मात्रा में एक्सपायर डेट की दवाइया जप्त की थी और क्लिनिक सील कर दिया गया था. तत्कालीन एसडीएम ने एफआईआर के निर्देश दिए थे परंतु सीबीएमओ ने कोई ठोस कार्यवाही नही की ओर झोलाछाप डॉक्टर द्वारा सील क्लिनिक को खोल कर पुनः मरीजो की जान से खिलवाड़ करने का मौका दिया गया। 17 मई 2020 को भी स्वास्थ्य विभाग ने निहार विश्वास के क्लिनिक पर छापामार कार्यवाही की गई परन्तु सीबीएमओ द्वारा इस बार भी कोई कार्यवाही नही की गई, नतीजन निहार विश्वास प्रशासन को अंगूठा दिखा कर खुलेआम अवैध क्लिनिक संचालित कर रहा है ।


 


यही नही सितम्बर 2016 में तत्कालीन तहसीलदार के उपस्थिति में स्वास्थ्य विभाग ने झोलाछाप डॉक्टर शैलेश अहीर, सुधांशू सरकार, रवि मंडल, कार्तिक मंडल, मिल्टन निपटराय के खिलाफ छापा मार कार्यवाही कर बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक दवाइया ओर अन्य प्रतिबंधित सामग्रियां जप्त कर इनके अवैध क्लिनिक सील किये गए थे और इन सभी झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ 16 सितम्बर 2016 को सीबीएमओ के अधीनस्थ डॉ राहुल जायसवाल, तत्कालीन डॉ हेमंत देवड़ा द्वारा स्थानीय पुलिस थाने में तहरीर दी गयी थी । परंतु सीबीएमओ मंजुला चौहान के संरक्षण में क्लिनिक संचालित कर रहे इन झोलाछाप डॉक्टरों ने बिना प्रशासन की अनुमति के खुद ही क्लीनिकों पर लागई गयी सील को खोल कर पुनः बेखोफ क्लिनिक का संचालन किया जा रहा है। जबकि झोलाछाप का ये कृत्य आयुर्विज्ञान की धारा 24, रजोपचार्य ओर उपाचार्य की धारा 3 ओर ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट 1940 ओर आई पी सी की धारा 420 के तहत दंडनीय अपराध है. इनमे से किसी भी झोलाछाप डॉक्टर के पास इंडियन मेडिकल कांउसिल एक्ट की धारा 1956 की धारा 15(2) एवं मध्य प्रदेस आयुर्विज्ञान परिषद 1957 की धारा 11 के अंतर्गत राज्य चिकित्सक रजिस्टर में रजिस्ट्रीकृत होना आवश्यक है ।


 


सूत्रों की माने तो इन झोलाछाप डॉक्टरों के दिए जा रहे संरक्षण के बदले जिम्मेदार अधिकारियों को एक मोटी रकम प्रदान की जाती है ।


 


पूरे मामले को देखे तो कुछ ऐसे प्रश्न है जो सीबीएमओ की संलिलतप्त पूरे मामले में दर्शाते हैं 


 


1. बरझर के झोलाछाप डॉक्टर पर एक से अधिक बार स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापामार कार्यवाही बड़ी मात्रा में आपतिजनक दवाइयां ज़ब्त कर पंचनामा बनाया जाता है परंतु हर बार झोलाछाप डॉक्टर निहार विश्वास क्लिनिक पुनः खोल कर मरीजो की जान से खिलवाड़ लगातर की जाता है ।


 


2. झोलाछाप डॉक्टर शैलेश अहीर,सुधांशु, ओर अन्य झोलाछाप डॉक्टरों के क्लिनिक सील होने की स्थिति में पुनः उसी स्थान पर कैसे संचालित हो रहे है,क्या मंजुला चौहान या अन्य किसी ने सील खोलने की अनुमति प्रदान करी ।


 


3. क्या पूरे ब्लाक में दर्जनों झोलाछाप डॉक्टरों के अवैध क्लिनिक संचालन की जानकारी मंजुला चौहान को नही है ,अगर है तो ये क्लिनिक संचालित कैसे हो रहे है ।


 


4. झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा पीड़ित सैकड़ो मरीजो के मामले सामने आने पर भी मञ्जुला चौहान द्वारा कार्यवाही क्यो नही की गई ।



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