केबल संचालक की लापरवाही के चलते युवक की मौत के मामले में कुछ विचारणीय प्रश्न

केबल कंपनियों की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के चलते कल एक और युवक की जान चली गई।


कोदरिया निवासी विकास पंवार सुतारखेड़ी के पास हाईटेंशन लाइन के खंभों पर से फाइबर केबल डालने का कार्य कर रहा था, तभी 22000 वोल्ट करंट की चपेट में आ जाने से उसकी मौत हो गई।


प्रारंभिक जानकारी के अनुसार किसी केबल कंपनी संचालक ने यह जानते हुए भी कि वह हाईटेंशन लाइन है और उससे संपर्क में आने पर किसी व्यक्ति की जान जा सकती है, विकास को बिना सुरक्षा उपकरणों के खंभों पर चढ़ने को कहा और उसकी मौत हो गई।


ऐसे मामलों में अभी तक जो मामले दर्ज हुए हैं उनमें पुलिस ने केबल कंपनी संचालक के विरुद्ध धारा 304 आईपीसी के अंतर्गत मामले दर्ज किए हैं।


 ऐसे में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए जियान न्यूज़ अखबार पुलिस और अन्य अथॉरिटीज के सामने कुछ बिंदु लाना चाहता है जो इस प्रकार हैं: - 


1.  आज जब कोरोना वायरस को लेकर पूरे प्रदेश में लॉक डाउन चल रहा है, खासकर इंदौर और महू में तो इसका पालन सख्ती से कराया जा रहा है, ऐसे में उक्त केबल कंपनी के मालिक या संचालक ने क्या इस केबल टेक्नीशियन विकास पवार और उसके साथ के अन्य कर्मचारियों को काम पर लगाने के लिए किसी सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त की थी? 


2. क्या उक्त संचालक ने विद्युत वितरण कंपनी से उनकी विद्युत लाइन के पोलों पर से केबल डालने की अनुमति ली थी? अगर अनुमति ली थी तो क्या विद्युत वितरण कंपनी ने हाई टेंशन लाइन पर केबल डालने की अनुमति दी थी? इस पर जांच होनी चाहिए क्योंकि अगर अनुमति नहीं दी थी तो उक्त केबल संचालक के विरुद्ध अब तक विद्युत वितरण कंपनी ने क्या कार्रवाई की है इसकी भी जांच होनी चाहिए। 


3. क्या इस तरह के खतरनाक और जानलेवा कार्य करवाने के लिए केबल संचालक ने अपने कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण जैसे विशेष किस्म के बूट, दस्ताने,  हेलमेट और जैकेट दिए थे? अगर नहीं तो उसके खिलाफ धारा 304 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कार्यवाही होनी चाहिए। 


4.  ऐसे मामलों में अक्सर देखा जाता है कि केबल कंपनी जो कि केबल और इंटरनेट सेवाओं का संचालन करती है के असली मालिक पुलिस से सांठगांठ करके बच जाते हैं और इस तरह के मामलों में किसी भी बीच के आदमी पर मुकदमा बनवा कर अपने आप को मामले से दूर रखते हैं। 


 यहां यह बहुत जरूरी बात है कि किसी मां ने अपना बेटा खोया है, किसी बहन ने अपना भाई तो किसी महिला ने अपना पति। ऐसे मामलों को बिल्कुल भी हल्के में कभी नहीं लेना चाहिए और पुलिस को इस तरह के मामलों में इसलिए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।



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