डॉ राजेश लाल मेहरा द्वारा लिखी इनकम टैक्स विषय पर लिखी गई एक लघु कथा

 


                             इनकम टैक्स


       


          बेटा ये इनकम टेक्स क्या होता है? माँ ने प्राइवेट कारखाने में काम करने वाले अपने बेटे से पूछा। बेटे ने बड़े अचरज के साथ माँ की ओर देखते हुए कहा, माँ कुछ लोगों की कमाई एक सीमा से जब ज्यादा हो जाती है तो उन्हें सरकार को टेक्स भरना पड़ता है, उसे ही इनकम टैक्स कहते हैं। बबुआ मैंने सुना है कि सरकार ने इस बार इनकम टैक्स में बड़ी छूट दे दी है। तुझे भी तो फायदा हुआ होगा न ? कितनी बचत होने वाली है? पता नहीं क्या सोचकर वह यह मासूम सवाल पूछ बैठी। हर दिन पहली तारीख का इंतजार करने वाले और महीने में 20 बार अपनी मासिक पगार का हिसाब- किताब जोड़ने वाले बेटे को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि माँ के इस प्रश्न पर वह हँसे कि रोए या माँ की बाँहों को पकड़कर झिंझोड़ दे। परंतु न जाने क्या सोचकर माँ के भोले से चेहरे की ओर देख खुद को संयत कर वह बोला,"माँ मुझे इनकम टैक्स नहीं लगता"। माँ तपाक से बोली, "ये तो बहुत अच्छा है बेटा, कम से कम तुझे टेक्स तो नहीं भरना पड़ता.... जितनी अपनी कमाई है वो हाथ में आ जाती है।" बेटा बरबस माँ की ओर देखता रहा, कुछ बोल न सका और जो कुछ बोलना चाहता था उसकी पूर्ति आँखों से लुढ़कते आँसुओं ने पूरी कर दी। 


डॉ राजेश लाल मेहरा


 


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