युवा आईपीएस अफसर पुनीत गहलोत ने शहीद टीआई देवेंद्र कुमार को लेकर जो लिखा है जरूर पढ़ें

देवेन्द्र


"सर, आप ये एप्लिकेशन डाउनलोड कर लो इससे आपको अपराधी की रियल टाइम लोकेशन मिलती रहेगी।"
नतीजा- उसी एप्लिकेशन से हमने अपराधी को 24 घंटे में मुंबई जैसी भीड़ भाड़ वाली जगह से पकड़ा।


देवेन्द्र
"सर, आप लूट के अपराधियों को पकड़ने के लिए बैक ट्रेकिंग करते हुवे सीसीटीवी फुटेज देखो।"
नतीजा- हमें बैक ट्रेकिंग फुटेज में अपराधियों के महत्वपूर्ण फोटो मिले जिनकी मदद से लूट की वारदात ट्रेस हो गई।


देवेन्द्र
"सर वाहन चोरों को पकड़ने के लिए जीपीएस की मदद लीजिए। टेक्निकल सहायता में करूंगा।"
नतीजा- 
वाहन चोरी की सतत् घटनाओं पर हम अंकुश लगा पाए।


ये महज कुछ उदाहरण है। ऐसे कई उदाहरण और भी होंगे जो देवेन्द्र की साइबर महारत को साबित करते होंगे। मेरे कलीग सीएसपी जुनी, दिशेश इस बारे में ज़्यादा अवगत होंगे।


बात सिर्फ साइबर महारत की नहीं है। बात है खुद से हर एक समस्या का समाधान करने के लिए प्रोएक्टिवली इन्वॉल्व होने की, बात है कर्तव्य परायणता की।
बहोत कम लोग मिलते है जो हर मामले में स्वयं रुचि लेकर फ्रंट से लीड करते है, देवेन्द्र उनमें से एक थे।
रात्रि गश्त के दौरान जब देवेन्द्र के साथ ड्यूटी करने का मौका मिलता था, तो पूरी रात पुलिसिंग में कौन से नए ऐप्स, गैजेट्स प्रयोग कर सकते है इसी चर्चा में समय कब निकल जाता था अहसास ही नहीं होता था।
नए अधिनियम हो या आईपीसी सीआरपीसी के संशोधन, नेट फ्लिक्स पर कौन सी अच्छी डॉक्यूमेंट्री आई है जिससे हमें क्राइम कंट्रोल में मदद मिल सकती है, इन सब बातों की पुख्ता जानकारी चाहिए होती थी तो बस एक ही व्यक्ति को कॉल करना होता था- वो व्यक्ति थे देवेन्द्र।
इस व्यक्ति ने मुझे यह सिखाया कि बुद्धिमत्ता या विभागीय पेशेवर ज्ञान रैंक या पद का मोहताज नहीं होता।
विगत 6 माह से में देवेन्द्र से परिचित हूं लेकिन एक बार भी मैंने उनके चेहरे पर कोई तनाव नहीं देखा। हमेशा मुस्कुराता हुआ चेहरा। हम में से कई लोग कार्य क्षेत्र को सबसे पहले देखते है, अरे! ये तो उस क्षेत्र में आता है आप वहां जाए। लेकिन इस व्यक्ति को कभी मैंने ऐसी बाते करते नहीं देखा उल्टा दूसरे क्षेत्र की समस्याओं पर भी वे स्वतः अपना पेशेवर ज्ञान और मेहनत लगाने से नहीं चूकते थे।
कल से हम पुनः 188 की कार्यवाही में व्यस्त हो जाएंगे, लॉक डाउन को एंफॉर्स करेंगे, पॉजिटिव मरीजों को हॉस्पिटल भेजेंगे, उनके रिश्तेदारों को क्वारांटिन सेंटर भेजेंगे, समय समय पर आने वाली जानकारी बनाएंगे। रह जाएंगी बस स्मृतियां।
सोचा था, कोरोना का ये दौर हंसते खेलते ड्यूटी करते करते बीत जाएगा। आने वाली पीढ़ी को किस्से कहानियां बताते रहेंगे। लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि यह संकट हमारे ही करीबी को हमसे दूर कर ले जाएगा। जब जब भी इस समय को याद करेंगे, देवेन्द्र हमारी स्मृति में सबसे पहले आयेंगे।
आज हमने अपना एक बेशकीमती एसेट खोया है। जिसकी पूर्ति कोई व्यक्ति नहीं कर सकता। परम पिता परमात्मा देवेन्द्र के परिवार को इस अपूरणीय क्षति से उबरने का साहस प्रदान करे।
अंत में यही कहूंगा कि देवेन्द्र को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी, कि हम सभी अपना बेहद ख्याल रखें, अब कोई पुलिस कर्मी संक्रमित ना हो। कोरोना के दंश से स्वयं को बचाते हुवे इसे जड़ से उखाड़ना ही हमारा लक्ष्य बने।


पुनीत गेहलोद IPS, 17 BATCH
सीएसपी, अन्नपूर्णा
इंदौर


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