शहीद टीआई देवेंद्र चंद्रवंशी की अंतिम यात्रा पर दैनिक भास्कर अखबार में छपी खबर पर वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद मजूमदार की प्रतिक्रिया

#आ बैल मुझे मार, पड़ी लकड़ी उठाऊं बारंबार..



.. इसे कहते हैं जले पर नमक छिड़कना !👆
जब तक कमलनाथ सरकार थी यानी 23 मार्च तक यह अखबार, प्रदेश सरकार का चाटुकार बना हुआ था। इसी अखबार में सबसे ज्यादा कवरेज बड़वाली चौकी में चल रहे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को मिला था। मित्रों, यह ना भूलें कि पूरे देश में जगह-जगह शाहीन बाग बनाए जा रहे थे, हमारे इंदौर की बड़वाली चौकी भी ऐसी ही शाहीन बाग बन गई थी।इसी अखबार में अनेक लुटियंस जिनके नाम नाचीज ने बार-बार दिए हैं, यथा श्री शेखर गुप्ता, श्री राजदीप सरदेसाई, श्री प्रीतीश नंदी, श्री एमके वेणु, श्री संजीव भट्ट, श्री रामचंद्र गुहा, श्री प्रीतीश नंदी, श्री हर्ष मंदर, श्री जावेद आनंद, श्री निखिल वागले, श्रीमती शबनम हाशमी, श्रीमती तीस्ता सीतलवाड़ जावेद, श्रीमती अरुंधति रॉय, श्रीमती मेधा पाटकर, स्वरा भास्कर, अनुराग कश्यप, श्री जेपी चौकसे, श्री योगेंद्र यादव, श्री शशि थरूर, श्री श्रवण गर्ग, श्री वेद प्रताप वैदिक के लेख और बयान बार-बार छाप कर सीएए के विरोध को वैचारिक आधार प्रदान किया और हवा दी। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान ईसीसीए के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने गए अमर शहीद स्वर्गीय देवेंद्र चंद्रवंशी को कोरोनावायरस हुआ। देखिए इस अखबार ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए श्री जावेद अख्तर के चंपू शकील आज़मी से हमारी मालवा की माटी के महान सपूत स्वर्गीय चंद्रवंशी के लिए श्रद्धांजलि के नाम पर कविता लिखवाई.. श्री राहत इंदौरी को इंदौर का मिर्जा गालिब और फिराक गोरखपुरी बनाने पर तुले इस अखबार को श्रद्धांजलि देने के लिए शकील आज़मी के अलावा कोई अन्य युवा कवि या साहित्यकार नहीं दिखा। मित्रों, आप कुछ भी कहें या दृष्टिकोण रखें, नाचीज तो इसको शरारत पूर्ण और लगभग पीत पत्रकारिता मानता है। यह ऐसा है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए वैचारिक आधार तैयार करो, देश के टुकड़े टुकड़े करने का सपना देखने वालों को अपने अखबार के पन्ने और स्पेस प्रदान करो, दूसरी ओर देश के लिए शहीद होने वालों को यदि श्रद्धांजलि देना है तो जले पर नमक छिड़कने के लिए उन्हीं लोगों को फिर से ग्लैमरस करो जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन शहादतों के लिए जिम्मेदार हैं। धिक्कार है यह अखबार और धिक्कार है इसका थिंक टैंक.. मित्रों, यह दाल- बाफला संस्कृति में मट्ठे होते जा रहे हैं इंदौर शहर में ही संभव है कि ऐसा अखबार खुद को शहर का भाग्य विधाता मानें और टुकड़े टुकड़े गैंग को भी ऊर्जा प्रदान करें। अनेक कथित भाजपा नेता भी इस डर से चुप रहते हैं कि यदि इस अखबार के खिलाफ कुछ बोला तो या उनकी विज्ञप्तियां और फोटो खिचाऊं खबरें नहीं छापेंगी। मित्रों, यद्यपि कोरोना वायरस का आतंक फैलाने वाला टाट पट्टी बाखल का दुर्दांत नवआतंकी जावेद खान, जो जबलपुर कस्टडी से भागा था नरसिंहपुर में पकड़ा गया है लेकिन इस अखबार ने उसकी खबर  भी देखिए प्रथम पृष्ठ पर कितनी अंडरप्ले की है। उसे सिर्फ एक कॉलम जगह दी हैं। अंदर जरूर कुछ कवरेज दिया है। यह इस अखबार का लंबे समय से चला आ रहा बेवकूफ बनाओ अभियान ही है कि, सिटी के पेजों पर वह खबरें होती हैं जो इंदौर की जनता चाहती हैं, जबकि अखबार का नेशनल न्यूज़ रूम और सेंट्रल डेस्क पूरी तरह से कामरेड सुधीश पचौरी के चेलों के हाथ में है।यानी वैचारिक रूप से आतंकवाद को बढ़ावा दो और अंदर के पेजों पर थोड़ा सा मल्लम लगाओ.. 


- मिलिंद मुजुमदार
(9754792524)


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