क्या विपक्षी दलों के प्रवक्ताओं ने भी पढ़ना लिखना छोड़ दिया है- पत्रकार मिलिंद मजूमदार

श्री तुलसी सिलावट को जल संसाधन मंत्रालय दिए जाने पर विपक्षी पार्टियों के अनेक प्रवक्ता बिना तथ्यों के जाने, गलत बयानी कर रहे हैं। यह तो समझा जा सकता है कि प्रदेश से कमलनाथ सरकार जाने का दुख राज्य के विपक्षी दल कभी भी भुला नहीं पाएंगे। इसका कारण यह है कि 15 माह चली कमलनाथ सरकार नाचीज की नजर में कांग्रेस के नेतृत्व में बनने वाली प्रदेश की अंतिम सरकार थी। इसके बाद भविष्य में प्रदेश में गैर भाजपाई दल तो सरकार में आएंगे लेकिन, उन भाजपा विरोधी सरकारों का नेतृत्व कांग्रेस नहीं करेगी। महाराष्ट्र और झारखंड का फार्मूला भविष्य में प्रदेश में अपनाया जा सकता है। हालांकि नाचीज का आकलन है कि 2023 में भी भाजपा को सत्ता से हटाना कांग्रेस तो ठीक अन्य विपक्षी दलों के लिए भी बेहद दुष्कर कार्य होगा। बहरहाल, मूल विषय पर आते हैं। एक तो प्रदेश के मौजूदा शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में नंबर दो की हैसियत जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट कि नहीं बल्कि, गृह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा की है। जाहिर है किसी को भी उपमुख्यमंत्री घोषित नहीं किया गया है। यदि श्री सिलावट को उप मुख्यमंत्री घोषित भी किया जाता तो भी कांग्रेस की सरकारों में अनेक ऐसे उपमुख्यमंत्री रहे हैं, जिनके पास जल संसाधन या अन्य महकमें रहे हैं। दरअसल, माना यह जाता है कि उप मुख्यमंत्री को गृह या वित्त मंत्रालय ही दिया जाएगा। अनेक बार ऐसा होता भी है, लेकिन हर बार नहीं। मध्य प्रदेश का ही उदाहरण ले तो स्वर्गीय अर्जुन सिंह के समय 1980 से 85 के दौरान उप मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय  शिवभानु सिंह सोलंकी के पास कुछ समय वित्त मंत्रालय था लेकिन अधिकांश समय न तो उनके पास गृह मंत्रालय था और ना ही वित्त। इसी तरह अविभाजित मध्य प्रदेश में 1993 में जब दिग्विजय सिंह सरकार सत्तारूढ़ हुई तो उस समय स्वर्गीय सुभाष यादव और स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर उप मुख्यमंत्री थे। इन दोनों के पास ही ना तो गृह मंत्रालय था और ना ही वित्त मंत्रालय। इसी तरह अत्यंत जुझारू और बड़ी आदिवासी नेता रही स्वर्गीय जमुना देवी भी दिग्विजय सिंह सरकार में उपमुख्यमंत्री रही हैं, लेकिन उनके पास महिला, बाल विकास और आदिवासी कल्याण विभाग ही रहे। इसलिए श्री सिलावट पर तंज कसना अलग बात है, लेकिन तथ्यों को जाने बिना बयान देना दूसरी बात। मध्यप्रदेश में ही जनता पार्टी की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय कैलाश जोशी के पास उद्योग विभाग था। उस समय वीरेंद्र कुमार सकलेचा मुख्यमंत्री थे और उनके वित्त मंत्री रामहित गुप्त थे। जबकि गृह मंत्रालय उन्होंने अपने पास रखा था। विपक्षी दलों के नेता और प्रवक्ता कम से कम पूरा होमवर्क कर बयान बाजी करें तो बेहतर होगा।


  - लोककांत महूकर
  (22/4/2020)


टिप्पणियाँ