तीन करोड़ की उगाही के लिए वर्दीधारी एडीजी मुकेश गुप्ता ने भ्रष्ट्राचार से घिरे पांच इंजीनियरों की FIR फाड़कर की नष्ट , जब्ती पत्रक से हुआ खुलासा , सीजेएम ने चार सौ बीसी का प्रकरण दर्ज करने के दिए निर्देश , पढ़े अदालती फरमान , सीजेएम बिलासपुर का फैसला

रायपुर / छत्तीसगढ़ में पुलिस मुख्यालय से लेकर EOW-ACB में पदस्थ रहे कई गंभीर मामलों का आरोपी और कुख्यात एडीजी मुकेश गुप्ता के अपराधिक कारनामे प्याज के छिलकों की तरह सामने आ रहे है | बिलासपुर सीजेएम कोर्ट ने आरोपी मुकेश गुप्ता समेत EOW और एसीबी के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक , तीन डीएसपी समेत कुल 9 पुलिस कर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420,120 B , 467 , 468 , 471 , 472 , 213 , 218 ,166 A , 167 B , 342 , 380 , 409 ,34 के तहत अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए है | 


इन अफसरों के खिलाफ होगी FIR : 


जिनके खिलाफ अपराधिक प्रकरण  दर्ज करने के निर्देश दिए गए है उनमे निलंबित मुकेश गुप्ता आईपीएस 1988 बैच , तत्कालीन एडीजी ACB-EOW , रजनेश सिंह तत्कालीन एसपी ACB , अरविंद कुजूर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक EOW , अशोक जोशी डीएसपी EOW , लॉरेंस खेस निरीक्षक EOW/ACB , संजय देव स्थले निरीक्षक ACB , ज्ञानेश्वर चन्द्रवंशी कम्प्यूटर ऑपरेटर ATS , राकेश जाट कम्प्यूटर प्रभारी ATS और अजितेश सिंह निरीक्षक ACB बिलासपुर शामिल है | 


पांच इंजीनियरों के ठिकानों से करोड़ों की रकम जब्त कर FIR ही फाड़ दी आरोपियों ने :


पूर्ववर्ती बीजेपी शासनकाल में निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता को लूटपाट , नकबजनी , डकैती और कानून की धज्जियां उड़ाने जैसे गंभीर अपराधों का लाइसेंस भी दिया गया था | मामले की पड़ताल के बाद इसका खुलासा हुआ है | इसे देखकर आप भी हैरत में पड़ जायेगे | मुकेश गुप्ता गिरोह ने सिंचाई विभाग के पांच इंजीनियरों के ठिकानों में एंटी करप्शन की रेड कर करोड़ों की नकदी और संपत्तियों का जब्ती पत्रक बनाया | लेकिन सौदा पट जाने के बाद उनके खिलाफ दर्ज FIR के कुल दस पन्ने ही उड़ा दिए थे | उन पन्नों के स्थान पर हूबहू वैसे ही दस नए पन्ने जोड़ दिए ताकि शासन और अदालत की आँखों में धूल झोका जा सके |


इनमे अभियंता अबरार बेग के यहां से 4 करोड़ 5 लाख की बरामदगी का जब्ती पत्रक सामने आया | जबकि अभियंता विजय सिंह ठाकुर के यहां 2 करोड़ , अभियंता बीडीएस नरवरिया से 56 लाख 80 हजार , अभियंता हरिराम पटेल से 53 लाख 80 हजार , अभियंता गोविंदराम देवांगन के यहां 2 करोड़ के अलावा दो कम्प्यूटर बरामद किये गए थे | इन कम्प्यूटर में सिंचाई विभाग की योजनाओं में आवंटित रकम और उसकी बंदरबाट का पूरा ब्यौरा था |


बताया जाता है कि बिलासपुर में पदस्थ अभियंता आलोक अग्रवाल के यहां मात्र 2 लाख 81 हजार की रकम बरामद होने के बाद आरोपी मुकेश गुप्ता ने उसके पूरे खानदान पर धावा बोल दिया | ताकि अवैध उगाही में मोटी रकम वसूली जा सके | जानकारी के मुताबिक मुकेश गुप्ता को मुंह मांगी रिश्वत नहीं देने के चलते आलोक अग्रवाल के परिजनों की सम्पत्ति जोर जबरदस्ती और गैर क़ानूनी ढंग से एसीबी EOW ने अपने कब्जे में ली थी | 


निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता के सिर पर किसका हाथ ? 


कई गंभीर मामलों का आरोपी मुकेश गुप्ता सिर्फ क़ानूनी दांवपेचों से ही नहीं बल्कि कांग्रेस के चंद नेताओं और पुलिस के कुछ आला अफसरों की मेहरबानी से अदालत और छत्तीसगढ़ सरकार की आँखों में धूल झोकने में कामयाब हो रहा है | बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दाए-बाए भटकने वाले कुछ एक नेताओं को उसने अपने जाल में फंसा लिया है | ये नेता पुलिस कार्रवाई में हस्तक्षेप कर उसे निष्क्रिय कर देते है | जबकि पुलिस महकमे में ज्यादातर अधिकारियों ने उससे किनारा कर लिया है | ये अफसर आरोपी मुकेश गुप्ता का फोन तक रिसीव नहीं करते है | लेकिन उँगलियों में गिने जाने वाले चंद ही अफसर है , जो ना केवल उसे गोपनीय दस्तावेज उपलब्ध करवा रहे है बल्कि संभावित कार्रवाई से बचाने में उसकी मदद कर रहे है |


यह मामला भी इसी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है | दरअसल बिलासपुर के चीफ जुडिश्यल मजिस्ट्रेट की अदालत ने आरोपी मुकेश गुप्ता समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने हेतु 24/12/2019 को फैसला सुनाया था | लेकिन लगभग ढाई माह बाद भी FIR दर्ज होना तो दूर इस फैसले की खबर कानो कान किसी को नहीं हुई | यहां तक की FIR दर्ज करने को लेकर आईजी बिलासपुर रेंज के पत्र को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया |       


 


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