नई दुनिया में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर, टर्मिनेट और रिटायर का खेल
खबर आ रही है कि जागरण ग्रुप के इंदौर नई दुनिया अखबार में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर, टर्मिनेट और रिटायर की योजना बनकर तैयार हो गई है। बताते हैं कि इंदौर जिले के ब्यूरो व कार्यालयों में 58 वर्ष में सेवानिवृत्त करने के मामले में कई कर्मचारियों के नाम है, जिन्हें नोटिस देने का सिलसिला 15-20 दिन के अंदर शुरू हो जाएगा।
सूत्र बताते हैं कि इंदौर कार्यालय से करीब 15 साथियों की सूची ट्रांसफर, टर्मिनेट के नाम पर बनाई गई है। इस सूची की अभी अधिकृत घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह खुलकर सामने आ रहा है कि इसमें कई कर्मचारियों पर ट्रांसफर, टर्मिनेट की गाज गिराकर उन्हें हटाने की तैयारी की जा रही है। बताते हैं कि सूची में ऐसे स्थानों पर स्थानांतरण करने की योजना है कि कर्मचारी वहां पर जाने की बजाए नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे।
सेवानिवृत्ति के सबसे अधिक मामले
सूत्र बताते हैं कि करीब 20-25 मामले 58 वर्ष में सेवानिवृत्ति के है। इसमें इंदौर जिले के कई ब्यूरों के कर्मचारियों को निशाना बना जा रहा है। इस संबंध में कर्मचारियों को संकेत दे दिए गए हैं। बताते हैं कि सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को एक माह पहले नोटिस दे दिया जाएगा। इस संबंध में मजीठिया क्रांतिकारियों के वकील श्री वाडियाजी को एक कर्मचारी ने कल पूरी जानकारी से अवगत कराया है। श्री वाडिया ने कर्मचारी को आश्वासन देकर कहा है कि सेवानिवृत्ति के मामले में शासन के स्पष्ट निर्देश 60 वर्ष के हो चुके हैं अगर ऐसा होता है तो आपके केस वरिष्ठ अभिभाषक बालकृष्ण प्रधान व भारतसिंह ठाकुर से तैयार कर लगवाए जाएंगे और दो वर्ष का पैसा घर बैठे आपको दिलाया जाएगा।
साथियों आपको पहले भी बता चुके हैं कि जिन साथियों के नाम ट्रांसफर, टर्मिनेट सूची में है वे मजीठिया क्रांतिकारियों के वकील से बनवाकर अपने संस्थानों में भेजे। इससे आप का ट्रांसफर, टर्मिनेट दोनों रूक सकते हैं और अगर लेटर के बाद ट्रांसफर, टर्मिनेट किया जाता है तो उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को आधार बनाकर आपको कोर्ट से राहत दिलाई जा सकती है। साथियों अगर आपने ट्रांसफर लेटर पर हस्ताक्षर कर दिए तो फिर जिस स्थान पर आपका ट्रांसफर हुआ है, वहीं आपका केस लगेगा। इस तरह आपके हाथ कट जाएंगे और नौकरी के मामले में आप कुछ नहीं कर सकेंगे। इस मामले में हम केवल राय दे सकते हैं, बाकी आपकी मर्जी।
साथियों निराश मत होना
साथियों अगर आपके साथ ट्रांसफर, टर्मिनेट की कार्रवाई होती है तो आप निराश मत होना और इस निराशा में ऐसा कोई कदम मत उठाना जिससे आपको या आपके परिवार को कोई विपरित प्रभाव पड़े। इस मामले में आप धैर्य रखे।
साथियों अगर आप ट्रांसफर, टर्मिनेट के विरुद्ध आप कोई कार्रवाई करते हैं तो ऐसा कोई कानून नहीं है कि वह आपको भविष्यनिधि का पैसा लेने से रोके। इस मामले में आप जब चाहेंगे आपको भविष्यनिधि का पैसा मिल सकता है। अगर आपको कोई यह राय देता है कि ट्रांसफर, टर्मिनेट के मामले में आपने कोई कार्रवाई संस्थान पर की है तो आपका भविष्यनिधि का पैसा रोक लिया जाएगा तो यह गलत है। आप जब चाहे भविष्यनिधि कार्यालय से फार्म लेकर अपना भविष्यनिधि का पैसा निकाल सकते हैं। इस प्रकार का भ्रम फैलाने वाले से बचे।
साथियों अगर आप संस्थान के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं तो कोई बात नहीं। क्योंकि यह आपका फैसला है। अगर आप कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं तो आपकी मर्जी, हमारा काम केवल कानूनी रास्ता दिखाने का है। इसके बावजूद अगर आपको ट्रांसफर, टर्मिनेट किया जाता है तो आप नौकरी छोड़ देते हैं तो मजीठिया के मामले में आपके लिए कानूनी व्दार खुले हैं आप कभी भी किसी भी अच्छे अभिभाषक से मजीठिया का बकाया वेतन मांगने के लिए कोर्ट की शरण ले सकते हैं। अतः धैर्य रखे और परिवारजनों को भी धैर्य बंधाए। नौकरी के छोड़ने के बाद आपको इतना पैसा तो मिल जाएगा कि आप बेरोजगारी में कोई व्यवसाय शुरू कर सके। इसलिए ट्रांसफर, टर्मिनेट के मामले को गंभीरता से लेकर अपना स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव ना पड़ने दे।
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