भारत के रहने वाले प्रोफ़ेसर आशीष यादव के अपार्टमेंट से बाहर का नज़ारा मानो थम चुका है.
बस ठंडी हवा है जो बह रही है, वरना दूर तक वीरान सड़कों के सिवा उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता.
बीते दो सप्ताह में उन्हें कई बार हथियारबंद सैनिक अपने अपार्टमेंट के बाहर घूमते दिखे हैं.
साथ ही चीन के सरकारी मीडिया के माध्यम से विचलित करने वाली कुछ सूचनाएं मिल रहीं हैं जो उनकी बेचौनी को और बढ़ा रही हैं.
जिस 32 मंज़िला अपार्टमेंट में आशीष 'क़ैद' होकर रह गए हैं, उसमें अब सिर्फ़ चार-पाँच चीनी परिवार ही बचे हैं.
उन्हें आशंका है कि उन तक कोई मदद पहुँच भी पाएगी. लेकिन वे जल्द से जल्द चीन के वुहान शहर से निकलना चाहते हैं.
आशीष यादव के अनुसार वे पिछले तीन हफ़्ते से अपने घर से नहीं निकल पाए हैं
पहली बार विदेश में डर का एहसास
35 वर्षीय आशीष वुहान टेक्सटाइल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं.
वे यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित अपने अपार्टमेंट के दो क़मरे के मकान में 22 जनवरी की रात से बंद हैं. उनके साथ उनकी पत्नी नेहा यादव भी हैं.
उत्तर प्रदेश के एटा ज़िले से वास्ता रखने वाले आशीष यादव बीते 12 वर्षों से विदेश में हैं.
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