आरटीआई के तहत जानकारी नहीं देने पर पावर जनरेटिंग कंपनी के इंजीनियर एके उपाध्याय पर 25 हजार का जुर्माना

राज्य सूचना आयोग ने पावर जनरेटिंग कंपनी के एमडी को दो महीने में जांच के आदेश दिए हैं


भोपाल। राज्य सूचना आयोग ने मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अधीक्षण अभियंता ए.के. उपाध्याय पर आरटीआई के तहत सूचना देने में बाधा पैदा करने के लिए 25 हजार रुपए का नुकसान ठोका है। विशेष बात यह है कि उपाध्याय लोक सूचना अधिकारी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने में अड़चनें पैदा कीं इसलिए उन्हें दोषी मानकर सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इस मामले में लोक सूचना अधिकारी गोवर्धन टेकवानी पर कोई दोष नहीं हुआ। आयोग ने उपाध्याय को सम-लोक सूचना अधिकारी (डीएमडी पीआईओ) बनाकर सुनवाई में बुलाया लेकिन वे कोई तर्कसंगत जवाब नहीं दे पाए। 


 प्रकरण के अनुसार 22 मई 2019 को सारणी के अपीलार्थी संतोष वागड्रे ने 5 बिंदुओं पर जानकारी के लिए सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया था। यह जानकारी किसी भी निजी एजेंसी के कार्यालय में अटैच वाहन और अधिकारी की लॉग बुक से संबंधित थी। लेकिन जानकारी नहीं मिलने पर पहली अपील चीफ इंजीनियर के समक्ष की गई, जहां कोई निर्णय ही नहीं हो सका है। आयोग के समक्ष सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी टेकवानी ने दस्तावेजों के हवाले से बताया कि आवेदन प्राप्त होते ही उनकी ओर से समय पर अधीक्षण अभियंता ए.के. उपाध्याय को पत्र में लिखा गया था क्योंकि चाही गई जानकारी उनके पास थी। लेकिन उपाध्याय ने इसे अनिश्चित पत्र-व्यवहार में लंबित कर दिया। इसके बाद प्रमुख अभियंता आरके मरकाम को भी जानकारी प्रदान करने के लिए लिखा गया है, क्योंकि उपाध्याय उन्हीं के मातहत पदस्थ थे। मरकाम और उपाध्याय को लगातार पत्राचार किया गया। आयोग ने उपाध्याय को जानकारी देने में बाधा पैदा करने के लिए सम लोकसूचना अधिकारी बनाकर सुनवाई में बुलाया तो उपाध्याय कोई तर्कसंगत जवाब नहीं दे पाए। 


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