रेल लाओ महासमिति ने की विशेष पैकेज की मांग
करीब 40 वर्ष पहले वेल लाने के लिए धार तक रेल लाने के लिए जो आंदोलन की शुरुआत हुई थी उसके फल स्वरूप 12 वर्ष पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और तमाम जनप्रतिनिधियों ने झाबुआ में इस परियोजना के शिलान्यास के अवसर पर घोषणा की थी कि वर्ष 2011 तक इस रेल परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा और ट्रेनें इस ट्रैक पर दौड़ने लगेंगी I जाहिर है इससे क्षेत्र की आदिवासी जनता की तस्वीर और तकदीर बदलनी तय थी I
वर्तमान में क्षेत्रीय सांसद ने घोषणा की है कि अप्रैल 2022 तक क्षेत्र में रेल परियोजना का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा, साथ ही कहा है इस सरकार के इस कार्यकाल में ही क्षेत्र में ट्रेन पटरी पर दौड़ेगी I अभी तक इन दोनों रेल पर परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हुआ है, बाकी बहुत से कार्य अभी होने हैं I
महासमिति ने अपने ज्ञापन में 1000 करोड़ के बजट की इस कार्य के लिए मांग की है, साथ ही क्षेत्र के पांचों सांसदों से अपील की थी की रेल जल्दी लाने के लिए प्रधानमंत्री से मिलकर अन्य राज्यों के विकास की तरह विशेष पैकेज रेल लाइन के लिए भी दिया जाना चाहिए I
अगर बात जनता की की जाए तो जनता अब इस प्रोजेक्ट को लेकर हताश होने लगी है, इस परियोजना को सिर्फ इंदौर और धार के बीच ही पूरा नहीं किया जा सका है क्योंकि समय-समय पर अलग-अलग स्थानों पर अपने तरह के व्यवधान आ रहे हैं और अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की इस मामले को लेकर उदास उदासीनता के कारण वे मामले सुलझ नहीं रहे हैं I यही कारण है कि यह परियोजना लगातार लेट होती जा रही है
इंदौर धार के बीच कार्यों को पांच भागों में बांटा गया है जिन की कार्य अवधि डेढ़ से 2 वर्षों में समानांतर तरीके से तय कर दी गई है I
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