यशवंत जैन, चंद्रशेखर आज़ाद नगर
भाजपा की रीति नीति से असंतुष्ट होकर जोबट 192 से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुके संघ के हरिसिह जमरा चंद्रशेखर आजाद नगर 1995 भारतीय जनता पार्टी के छोटे से कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक जीवन में प्रवेश करने वाले हरि सिंह जमरा 1995 ग्राम पंचायत बड़ी मिरियावाट के उपसरपंच के रूप में निर्वाचित हुए और वे 2000 तक पंचायत के उपसरपंच रहे हैं! 2000 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सरपंच के रूप में निर्वाचित हुए और सामाजिक जीवन की बात करें 1998 मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक आजाद नगर तहसील के तहसील कार्यवाह जिला बौद्धिक प्रमुख जिला धर्म जागरण प्रमुख भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष जिला कार्यवाह अनेक दायित्व पर राष्ट्रवादी विचारधारा के लिए तन मन धन से कार्य किया संघ शिक्षा वर्ग में द्वितीय वर्ष का शिक्षा प्राप्त किया! 2004 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्देशानुसार आपको भाजपा में लोकसभा प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी मिली और आपने उसमें भी तन मन धन से कार्य किया! और भारतीय जनता पार्टी में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के झाबुआ जिले के जिला अध्यक्ष के रूप में दायित्व मिला! 1995 के उन संघर्षों को लेकर आज की तुलना करें तो तुलना करना बहुत ही बेईमानी होगी क्योंकि उस समय का संघर्ष है बहुत ही कठिन था भारतीय जनता पार्टी का झंडा उठाने के लिए कोई कार्यकर्ता नहीं था पोस्टर चिपकाने के लिए कोई कार्यकर्ता नहीं था मुश्किल से एकाद सरपंच जीत पाता था आजाद नगर की बात की जाए तो इंदर सिंह जी डावर उस समय वार्ड क्रमांक 6 7 के भाजपा के पार्षद थे वर्तमान में व जनपद के अध्यक्ष आजाद नगर के राय सिंह परमार सेजावाड़ा कल सिंह मेडा काकड़बारी तुलसिंह भवर छोटी पोल दरयावसिंह लोगोसिंह वसुनिया माथना ज्ञानसिंह मावी झिरण गणपत गुप्ता कमल जायसवाल, अजय जायसवाल आजाद नगर, केरम सिंह गाडरिया जोबट उदयगढ़ मांगीलाल चौहान आम्बुआ कालू राठौड़ वह अनेक कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी के विचारधाराओं को घर-घर पहुंचाने के लिए कार्य किया! क्योंकि सभी कार्यकर्ताओं का स्वार्थ नहीं था और केवल राष्ट्र और भारतीय जनता पार्टी को इस जोबट विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव को प्रत्येक मतदाताओं तक उसकी विचारधाराओं को पहुंचाना था संघर्ष ही कठिन था किंतु असंभव नहीं था और उसको 2003 में जोबट जैसे कांग्रेस के गढ़ को उमा लहर के कारण पहली बार भारतीय जनता पार्टी का विधायक बना किंतु कार्यकर्ताओं का अपमान और बाहर से आए हुए व्यक्तियों को सम्मान व उम्मीदवारी भी मिलती है और वही व्यक्ति धीरे-धीरे जो भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया उन्हीं कार्यकर्ताओं का पार्टी में सम्मान की अपेक्षा तो नहीं की किंतु अपमान उनको अवश्य मिला धीरे-धीरे कार्यकर्ताओं का पार्टी में जिम्मेदारी वह मान सम्मान भी घटता चला गया और जो दूसरी पार्टी से आए हुए कार्यकर्ताओं की पूरी फौज पहले भी मौज कर रही थी और आज भी मौज कर रही है! जब इसका विरोध संगठन के सामने सभी लोगों ने रखा तो संगठन में भी कोई सम्मानजनक उत्तर नहीं मिला और 2008 के विधानसभा का इतिहास आप सभी को पता है जब कार्यकर्ताओं और दायित्व और मान सम्मान के बाद आती है तो 2008 का इतिहास सभी को एक बार पुनः बताऊंगा जो 2003 में हुआ वह 2020 में भी वैसा ही हुआ बाहरी लोग आकर पार्टी का सिंबल भी ले जाते हैं पूरी फौज के साथ आते हैं पहले भी मौज में थे और आज भी मौज में हैं लेकिन जो विचारधारा मान सम्मान प्राप्त होना चाहिए एक कार्यकर्ताओं को वह पहले भी नहीं मिल रहा था आज भी नहीं मिल रहा है पहले भी कांग्रेस से भाजपा में आइए माधव सिंह डावर को उम्मीदवार बनाया गया और उपचुनाव में कांग्रेस की पूर्व विधायक रही सुलोचना रावत को भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया किंतु कार्यकर्ताओं का सम्मान विचारधारा के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता पहले भी संघर्ष कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं दूसरा है कि कार्यकर्ता हमेशा ही मेहनत करता रहेगा परिश्रम करता रहेगा और फायदा कोई और उठाएगा।
इसी कारण मैं 2008 के विधानसभा निर्दलीय लड़ा था और 2023 में पुनः निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की !
यह चुनाव हरि सिंह जमरा के लिए नहीं ना ही उसके निजी स्वार्थ के लिए हैं!
यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी के संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता और उसकी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने वाले कार्यकर्ताओं के मान सम्मान के लिए है!
क्योंकि भाजपा मे दूसरे दलों से आये नेताओं को सम्मान दे रहे यदि भाजपा यह कलर समाज के लिए और राष्ट्र के लिए ठीक नहीं है।
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