सोने की तरह हॉलमार्क देखकर खरीदें सिल्क की साड़ी, नेशनल सिल्क एक्सपो प्रदर्शनी में 20 से अधिक राज्यों की कारीगरी एक ही जगह


- *10 सितंबर तक अभय प्रशाल में सुबह 11 से रात 9 बजे तक आयोजित* 

*इंदौर* एक तरफ हर उम्र की महिलाएं आधुनिक परिधान पसंद कर रही हैं, वहीं देश की युवा पीढ़ी का रूझान पारंपरिक परिधान खासकर साड़ी की तरफ लौटा है। चाहे ब्लाउज में नए एक्सपेरीमेंट्स हों या साड़ी ड्रेपिंग के अलग-अलग तरीके हों। देश और दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक बनारस और अन्य शहरों की हजारों साल पुरानी पारंपरिक साडिय़ों का फैशन फिर लौट आया है। ये एंटीक साडिय़ां जगदीशवर हस्तकला एक्सपो द्वारा अभय प्रशाल में आयोजित प्रदर्शनी में देखने मिल रही हैं। 10 सितंबर तक चलने वाली प्रदर्शनी में उद्घाटन शनिवार को टीवी कलाकार सारिका दीक्षित ने किया इनके साथ पिंकी वर्मा, प्रीति त्रिवेदी सहित अन्य कई महिलाएं उपस्थित थीं।

इस एग्जीबिशन में अपने प्रोफेशन और पसंद के अनुसार साडिय़ां खरीद सकते हैं, क्योंकि यहां त्यौहार के लिए चटख रंगों और हैवी वर्क से लेकर, ऑफिस के लिए पेस्टल शेड्स और डेलिकेट वर्क वाली यूनीक साडिय़ां उपलब्ध हैं। आयोजक जयेश कुमार गुप्ता ने बताया यहां 20 से अधिक राज्यों के 80 से अधिक स्टॉल पर पैठणी, कढ़वा बूटी, तनछेई सिल्क, प्योर जरी वर्क कांजीवरम, मूंगा सिल्क साडिय़ां मौजूद हैं। साथ ड्रेस मटेरियल्स से लेकर प्योर फेब्रिक्स के ही कॉर्सेट्स, रिवर्सेबल कुर्तियां, ट्रेंडी और डेलीकेट दुपट्टे के साथ ज्वेलरी भी मौजूद है। 


*बनारस जितनी ही प्राचीन हैं पितांबरी, रक्तांबरी साडिय़ां*

बनारस से आए बुनकर हैदर अली बताते हैं शहर जितनी ही पुरानी हैं, पितांबरी, श्वेतांबरी, रक्तांबरी साडिय़ां। इनके नाम भी संस्कृत से हैं और इनका इस्तेमाल पौराणिक काल से किया जा रहा है। प्योर कॉटन, सिल्क और लिनन के धागों से बनी साडिय़ों पर चांदी का वर्क होता है। जिसे 90 से 120 सिरकी यानि निडिल से तीन बुनकर एक साथ साढ़े पांच महीने तक काम करते हैं। तब एक साड़ी तैयार होती है। प्राचीनकाल में सोने और चांदी के धागों से कपड़े तैयार होते थे, यह वही प्राचीनकला है जिसे जीवित रखने वाले कद्रदान आज भी देश और दुनिया में हैं। लोग अपनी चाहत को लेकर ढूंढते हुए बनारस आते हैं और खुश होते हैं कि पौराणिक समय का काम आज भी जिंदा है।



 *ऐसे रखें सिल्क साडिय़ों का याल* 

- सिल्क साडिय़ों के लिए हैंगर का इस्तेमाल करने के बजाय उन्हें फोल्ड करके ही रखें।

- हर महीने फोल्ड चेंज करते रहें।

- कॉटन के कपड़े में साड़ी को रखें।

- जिस कपड़े में साड़ी को रखा है उसके आसपास दवा रख सकते हैं, लेकिन सीधे साड़ी में कभी दवाई नहीं रखें।

- पानी बिल्कुल नहीं लगने दें। जहां नमी हो, वहां भी रखने से बचें।

कैसे करें सिल्क की पहचान

- बुनकर या आधिकारिक लोगों से ही सिल्क साडिय़ां या मटेरियल्स खरीदें।

- सोने के हॉलमार्क की तरह सिल्क साड़ी को भी हॉलमार्क जरूर देंखे।

- सिल्क की साड़ी के कोने में लगे धागे को उंगलियों से रगड़कर देखें की वह महीन और मुलायम है या नहीं।

 

बॉक्स

 *रक्तांबरी साडिय़ां* 

 *वर्क* - चांदी वीविंग

 *खूबी-* कारीगरी, जो नहीं मिलते हैं, बनारस में केवल प्वाइंट फाइव(.5) प्रतिशत ही कारीगर बचे हैं।  

 *रेंज* - सादा काम 70 हजार, हैवी वर्क 1 लाख 25 हजार से लेकर काम के अनुसार

 *चिंता की बात-* महंगी साड़ी लेकर कारीगर यहां वहां नहीं भटक सकते हैं। जो जानने वाले हैं वही पहचानते हैं, जो नहीं जानते वह कहते हैं कि यह तो कॉटन है, इसमें है ही क्या।

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