दो साल बाद फिर झिलमिलाती झांकियों के साथ निकला कारवां, विदा हुए बप्पा,उत्सव छटा का रंग बिखेरते निकला झांकियों का कारवां, 13 झांकी और 9 अखाड़े निकले चाकचौबंद रही पुलिस व्यवस्था रातभर सुरक्षा में डटे रहे पुलिसकर्मी

आशीष यादव, धार 

गौरीनंदन गणेश की दस दिनी आराधना के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेशोत्सव का समापन हुआ। सुबह से पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुआ गणेश विसर्जन का दौर देर रात तक चलता रहा। शाम को विभिन्न समितियों के अखाड़ों व झांकियों के साथ चल समारोह के रूप में निकली। प्रमुख मार्गों से होते हुए झांकियों का चल समारोह देखने के लिए आसपास के ग्रामीण अंचल से भी बढ़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।अनंत चतुर्दशी पर सुबह से प्रतिमा विर्सजन का दौर शुरू हो गया था। गणेश पंडालों से श्रद्घालुओं ने बैंडबाजों के साथ चल समारोह निकालकर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया। शाम को अंधेरा होते ही शहर झांकियों की झिलमिल से रोशन हो उठा। शहर में झांकियों को निकालने की परंपरा आजादी से पहले की है। धार में झांकियों का इतिहास काफी पुराना रहा है। धार के लोग कई ऐतिहासिक झांकियों के गवाह रहे हैं। निकलने वाली झांकियों में कलाकारों द्वारा अपनी उम्दा कलाकारी प्रस्तुत की जाती है। यही कारण है कि अनंत चतुर्दशी काफी फेमस है।विजय श्री स्पोर्ट्स क्लब की टैगलाइन है कि हम इतिहास बनाते हैं दोहराते नहीं। जैसा कि क्लब के अध्यक्ष सन्नी राठौड़ ने पहले ही घोषणा की थी कि इस बार कश्मीर घाटी में मौजूद बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा का दर्शन लोग धार में झांकी के दौरान कर सकेंगे। यह झांकी पूरी तरह बर्फ से बनी हुई थी। इसे बनाने में 11 क्विंटल बर्फ का इस्तेमाल किया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि चल समारोह निकलने के कुछ घंटे पहले इस झांकी को तैयार किया गया।झांकियों के साथ अखाड़े निकालने की भी परंपरा रही है। 


पुलिस छावनी में तब्दील शहर

आयोजन के चलते पूरा शहर पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया था। आनंद चौपाटी से राजवाड़ा और पीपली बाजार तरफ से आने वाली झांकियों को जवाहर मार्ग की तरफ इंट्री मिलती है। आनंद चौपाटी से लेकर पूरे जवाहर मार्ग, धानमंडी, भाजी बाजार, नालछा दरवाजा, पौ चौपाटी होते निकलती है। इस पूरे रूट 300 पुलिसकर्मियों को तैनात किया। साथ ही इस रूट को सात सेक्टर में बांटकर पुलिस पार्टी भी लगाई थी। कलेक्टर पंकज जैन व एसपी आदित्य प्रताप सिंह एडीएम श्रगार श्रीवास्तव, एएसपी देवेेंद्र पाटीदार, सीएसपी देवेंद्र धुर्वे, टीआई आनंद तिवारी, समीर पाटीदार कमलसिंह पंवार, रंजीत बघेल आदि अधिकारी भी व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे थे।


बरसों पुरानी है झांकियों की परंपरा

झांकियों के कारवां की अगुवाई ब्रह्माकुंडी की झांकी करती है। ब्रह्माकुंडी से वर्ष-1937 में संस्थापक स्व. अमरसिंह नायक ने इस परंपरा की शुरूआत की थी। अब परिवार की तीसरी पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ाते आ रही है।


विजयश्री स्पोर्टस क्लब भी अपने 60वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। अलग-अलग और अकल्पनीय झांकियों को लेकर क्लब को जाना जाता है। इस बार भी क्लब द्वारा बाबा अमरनाथ की 11 क्विंटल बर्फ का इस्तेमाल कर झांकी तैयार करवाई गई।


बड़ी झांकियों और आकर्षक लाइटिंग के मामले में चिंतामण गणपति मंदिर समिति का नाम आता है। समिति हर बार धार्मिक व सांस्कृतिक झांकियां तैयार करवाता है। समिति द्वारा इस बार अष्ठलक्ष्मी के आठ रूपों की झांकी बनवाई जो आकर्षक का केंद्र रही।





अखाड़ों के पहलवानों ने दिखाए करतब 


खास तौर पर श्री बजरंग दल झिरनिया अखाड़ा, श्री खेड़ापति अखाड़ा, श्री नरसिंह दल अखाड़ा, श्री राम दल अखाड़ा, मांझी युवा सगठन नोगाव ,श्री वीर दल अखाड़ा और श्री अर्जुन दल अखाड़ा शामिल रहा। श्री नरसिंह दल आखड़े में श्री कष्ठभांजन हनुमान पर आधारित आकर्षण का केंद्र रहा। वही काडमांडू झांकी देखने लोगो की भीड़ लग रही,वही चल समारोह के दौरान इन अखाड़ों के पहलवानों द्वारा आकर्षक करतब दिखाएं गए। रातभर अखाड़ों के पहलवानों ने हैरतअंगेज करतब का प्रदर्शन किया

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