मामला जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का....., साढ़े 4 करोड़ के खर्च से बनी थी बिल्डिंग, हुई हुई पानी पानी

 आशीष यादव, धार 

7 साल में ट्रामा सेंटर शुरु नहीं हुआ, सेंटर के लिए बनाए गए भवन में जगह-जगह रिसाव

आपातकालीन चिकित्सा केंद्र के तौर पर होता है ट्रामा सेंटर, वाहन दुर्घटना और मौतों में प्रदेश में अव्वल है धार

करीब साढ़े 4 करोड़ रुपए बिल्डिंग निर्माण पर खर्च करने के बावजूद जिला मुख्यालय पर ट्रामा सेंटर प्रारंभ नहीं हो पाया है। यह जरूर हो गया है कि भवन का नाम ही ट्रामा सेंटर हो गया है। ट्रामा सेंटर के नाम से चर्चित बिल्डिंग में मेटरनिटी वार्ड को शिफ्ट कर दिया गया है। गर्भवतियों के आपरेशन सहित उनको रखा जा रहा है। 7 साल पहले 2015 में जिले में लगातार गंभीर दुर्घटनाओं में घायलों को बाहर भेजने के दौरान समय पर उपचार ना मिलने से मृत्यु होने के बाद ट्रामा सेंटर का निर्णय लिया गया था। हालात यह है कि ट्रामा सेंटर तो चालू हुआ ही नहीं वहीं गंभीर तो ठीक सामान्य घायल मरीजों को भी इंदौर रैफर किया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब मप्र में दुर्घटनाओं के मामले में धार जिले में सर्वाधिक दुर्घटनाएं और मौत होने में अव्वल स्थान आया है।

ड्रेनेज का पानी वार्ड में घूसा, आपरेशन बंद

ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग निर्माण के बाद से ही विवादों में है। करीब 4 करोड़ 28 लाख 26 हजार में ट्रामा सेंटर बिल्डिंग निर्माण करने के पश्चात वर्ष 2015 में इसे जिला अस्पताल प्रबंधन को हैंडओवर कर दिया गया था। प्रारंभ के दूसरे वर्ष से ही बिल्डिंग में जगह-जगह पानी रिसाव की शिकायतें सामने आई थी। यह स्थिति आज भी बनी हुई है। अस्पताल में चंद घंटों की बारिश में बिल्डिंग में रिसाव हो रहा है। गुरुवार को ड्रेनेज का पानी सेंटर के मेटरनिटी वार्ड, स्टोर रूम सहित अन्य स्थानों पर घूसने से दिक्कतें हो गई। आरएमओ डॉ संजय जोशी ने मामले की जानकारी के बाद सफाई करवाई और निकासी को सुचारू किया। गंदा पानी घूसने के कारण आॅपरेशन थियेटर में कोई आपरेशन नहीं किया गया। दरअसल प्रसूताओं को संक्रमण फैलने का अंदेशा था। शाम तक पानी निकासी का काम जारी था। इसके पश्चात फागिंग करके कक्षों को बंद किया जाना था। जिसकी प्रक्रिया समाचार लिखने तक जारी थी।

अधिकर हिस्सों में टपक रहा पानी

ट्रामा सेंटर भवन की स्थिति आज की नहीं है। पिछले कई सालों से बारिश के दिनों में भवन गुणवत्ताहीन निर्माण होने की बात रिस-रिसकर बताता है। डेढ़ वर्ष पूर्व ही जिला कलेक्टर आलोकसिंह ने भवन की क्षतिग्रस्त दीवार और पानी रिसने के निशान देखकर पूछा था कि यह भवन क्या पीआईयू ने बनाया है। वर्तमान में हालत यह है कि एक स्थान नहीं बल्कि अलग-अलग स्थान से पानी के रिसाव ने सीलन का ऐहसास करा दिया है। कुछ वर्ष पूर्व यह सीलन प्रसूताओं को रखने वाले कक्ष में हो गई थी। जिसमें फफूंद लगने के बाद मामला सुर्खियों में आया और ताबड़तोड़ वार्ड की महिलाओं को शिफ्ट करके रिपेयरिंग करवाई गई थी।


बॉक्स-1

यह है ट्रामा सेंटर का मतलब

ट्रामा सेंटर अस्पताल की एक ऐसी उपचार इकाई होती है जहां पर आपात की स्थिति में घायल होने वाले मरीजों को सेंटर की सहायता से उचित चिकित्सा सुविधा दी जाती है। सेंटर पर ऐसे डॉक्टर होते है जो सर्जरी जैसे कामों में विशेषता रखते है। यह अस्पताल का सबसे मुख्य वार्ड होता है। जिसमें दुर्घटनाओं में गंभीर घायलों को चिकित्सीय सुविधा देने हेतु माना जाता है। ट्रामा का मतलब होता है मानसिक आघात, मानसिक क्षति, चोंट-घाव। यहां पर स्ट्रोक, कार्डियेक अरेस्ट, ब्रेन हेमरेज, दिमाग की चोंटे सहित कई तरह की आपातकालीन स्थितियों का उपचार किया जाता है। ऐसे सेंटरों में ट्रामा सर्जन, न्यूरो सर्जन, हड्डी रोग सर्जन, कार्डिएक सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट और 24 घंटे प्रशिक्षित नर्स और कर्मचारियों की तैनाती के साथ परीक्षण उपकरण भी रहते है। धार के ट्रामा सेंटर भवन में ना उपकरण है ना ही उपचार सुविधा और आवश्यक चिकित्सक।


इनका कहना है

ट्रामा सेंटर भवन के वार्डों में डेनेज पानी घूसने की जानकारी मिली थी। तुरंत मौके पर पहुंचकर पानी निकासी का काम शुरु करवा दिया। शाम तक काम पूर्ण हो चुका है। पुराना डेनेज सिस्टम होने के कारण भी दिक्कतें हो जाती है~~डॉ संजय जोशी, आरएमओ जिला चिकित्सालय धार 





टिप्पणियाँ