सालभर में १४वें से ७वें स्थान पर आया धार एसएनसीयू, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने जारी की सालाना रिपोर्ट

आशीष यादव, धार

प्रदेश में धार एसएनसीयू की रैकिंग में सुधार

टॉप-१० में शामिल हुआ धार जिला, जिले में एकमात्र २० बेड की एसएनसीयू यूनिट जिला अस्पताल मे

आदिवासी बाहुल्य धार जिले में बाल मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में काफी सुधार हुआ है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम द्वारा जारी सालाना रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में धार जिला अस्पताल स्थित नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई यानी एसएनसीयू की रैंक में सात अंकों का सुधार दर्ज किया गया है। गत वर्ष-२०२१ में धार एसएनसीयू की रैंक १४वीं थी। इस बार रिपोर्ट में धार एसएनसीयू की रैंक ७वीं दर्ज की गई है।

यह रिपोर्ट एनएचएम के संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने १७ फरवरी को जारी की है। इनमें प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों को रैंकिंग दी गई है। इसमें धार जिला अस्पताल के एसएनसीयू की रैंक सातवीं रही है। इस सुधार का मतलब यह है कि एसएनसीयू में भर्ती होने वाले प्री-मैच्योर बच्चों की सेहत में सुधार के बाद डिस्चार्ज होने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है।

टॉप-१० रैंक वाले जिले

प्रदेश में सबसे बेहतर एसएनसीयू जेपी हॉस्पिटल भोपाल रहा है। जेपी हॉस्पिटल को फस्ट रैंक मिली है। दूसरे नंबर पर रायसेन, तीसरे पर भिंड, चौथे पर सतना, पांचवे पर छिंदवाड़ा, छठे पर रिवा व सातवें पर धार रहा। इसी तरह आठवें पर श्योपुर, नौंवे पर पीसी सेठी इंदौर व दसवीं रैक एसएनसीयू खंडवा की रही है। सबसे खराब रैंक ५१वीं गुना एसएनसीयू को मिली है।

एसएनसीयू की स्थिति

- एसएनसीयू यूनिट की शुरूआत जिला अस्पताल में ३१ अगस्त २०११ से हुई।

- इसमें वर्ष-२०१३ से २०२० तक १२ हजार २४१ बच्चों को भर्ती किया जा चुका है।

- वर्ष-२०२१ में कुल १ हजार ९५६ बच्चों को एडमिट किया गया था। इनमें हॉस्पिटल में जन्मे ७७० बच्चे व रेफर होकर आने वाले बच्चों की संख्या १ हजार १८६ है।

- वर्तमान में एसएनसीयू में ४१ बच्चे एडमिट है। 




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