टीवी सीरियल्स और शाॅर्ट मुवीज़ में इंदौर का नाम रोशन कर रहे राघवेंद्र तिवारी से खास चर्चा

**

*दर्जनों नाटकों में अभिनय किया, राघवेन्द्र तिवारी को दो बार मिल चुका है बेस्ट एक्टर्स का अवार्ड*

*अभिनय कला के क्षेत्र में समर्पित राघवेंद्र तिवारी से मुलाकात*


इंदौर। थियेटर करते हुये 1987 में जब उन्हें प्रथम बार बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला तभी से तय किया कि उन्हें कलाकार ही बनना है। राघवेंद्र तिवारी रंगकर्म की दिशा में आगे बढ़े और शुरुआत में ही राघवेंद्र तिवारी को रंगकर्म के लिए बेहतरीन निर्देशकों का साथ मिला, जिनके साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि बाबा कारंत, रोबिन दास जी, बी एम शाह जी, अनिल तिवारी जी, डॉक्टर कमल वशिष्ट, गोविंद गुप्ता, विनोद तिवारी, विराट, इत्यादि महानिदेशकों का आशीर्वाद मिला।


राजलक्ष्मी नगर सुर्य मंदिर राऊ (इंदौर) के रहने वाले राघवेन्द्र तिवारी ने ग्वालियर में नाटक 'छेद' की सफलता के बाद आपने कुछ नाटकों का निर्देशन भी किया, जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। तब ही राघवेन्द्र ने अनुभव किया कि कुछ आगे बढ़ना चाहिए और दिल्ली की तरफ कूच किया। दिल्ली में उन्होंने एक साल सरकारी नौकरी की परंतु सरकारी नौकरी के साथ बाहर काम कर पाना बहुत मुश्किल था इसलिए उन्होंने फिल्म एवं नाटक प्रभाग की नौकरी को छोड़ कर दूरदर्शन के लिए कुछ सीरियल किये जिनमें उसमें 'गहरे पानी पैठ', 'म्यूजिक मस्ती और हम' शामिल हैं। इन सभी सीरियलों में आपने मुख्य भूमिका निभाई। तत्पश्चात ईटीवी यूपी बिहार में एक सीरियल 'ले चुटकी' में एंकर का किरदार निभाया एवं सलाम यूपी में भी मुख्य भूमिका निभाई। इसके साथ ही राघवेंद्र तिवारी नुक्कड़ नाटक करते रहे। इंदौर आने के बाद नुक्कड़ नाटक के साथ-साथ कुछ फिल्में की। 'इच्छाधारी', 'अन्ना का आंदोलन', 'हाउ इज वाऊ' एवं 'घंटा चोरी हो गया' में मुख्य भूमिका निभाई। 'घंटा चोरी हो गया' राघवेंद्र तिवारी की स्वयं लिखी स्क्रिप्ट पर बनी फीचर फिल्म है जो ऑल इंडिया में इंटरटेन चैनल पर रिलीज हई। इस दौरान आपने 'प्राइवेट एलएलबी' की और इंदौर में ही रहते हुए डीडी के लिए 'संघर्ष देवकी का' टीवी सीरियल के साथ डेली सोप 'एक दूजे की परछाई' और बहुत सारी शार्ट फिल्में की। आपको इंदौर में दो बार बेस्ट एक्टर का अवार्ड शॉर्ट्स फिल्मों के लिए मिल चुका है। कोरोना के दौरान जब आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो राघवेंद्र जी ने मुंबई की तरफ कूच किया। मुंबई में आने के पश्चात एक सप्ताह के भीतर ही काम मिला। पहला सीरियल -अकबर का बल बीरबल' जो स्टार भारत पर आता है' इसमें उन्होंंने भस्म बाबा की मुख्य भूमिका निभाई थी जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। सावधान इंडिया की एक कहानी में इन्होंने श्याम की भूमिका निभाई,जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। महानायक भीमराव अंबेडकर में गेस्ट अपीयरेंस के तौर पर एक कैरेक्टर किया जो एंड टीवी पर आता है। एंड टीवी पर ही मौका-ए-वारदात की एक कहानी में मुख्य भूमिका निभाई।


आपकी आने वाली कुछ फिल्में हैं- 'उल्लू द गेम ऑफ डेविल' एवं 'पेशन ऑफ खजाना' यह इस साल आपको देखने को मिलेगी। एक फिल्म की तैयारी चल रही है जिसका नाम है 'हां मैं किन्नर हूं' जो उन्होंने खुद ही लिखी है। इसके अतिरिक्त वे समय-समय पर नये कलाकारों के लिए अभिनय कार्यशाला लगाते रहते हैं और फिल्मों से संबंधित जानकारी उपल्बध करवाते रहते हैं। आप नुक्कड़ नाटकों द्वारा देश की सेवा का कार्य कर रहे हैं। मुम्बई में रहते हुये आप इंदौर और ग्वालियर का नाम रोशन कर रहे है। जैसा राघवेन्द्र तिवारी ने जितेन्द्र शिवहरे को बताया।









टिप्पणियाँ