सप्त ऋषि परम्परा एवं महर्षि जमदग्नि* विषय पर व्याख्यान


म.प्र. साहित्य अकादमी संस्कृति विभाग भोपाल द्वारा महाराष्ट्र समाज भवन महू मे एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजक श्री मुकेश कौशल ने बताया कि इस व्याख्यान मे अध्यक्षता डॉ. मुरलीधर चान्दनीवाला रतलाम की मुख्य वक्ता डॉ. विनायक पाण्डे इन्दौर एवं विशिष्ठ अतिथि श्री रमेश शुक्ल रहे। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवन कर किया इस दौरान कु. अनुष्का मिश्रा शुभाषित वाचन किया। अतिथियों का स्वागत अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे द्वारा किया गया। स्वागत वक्तव्य मे डॉ विकास दवे कहा कि *भारत कृषि प्रधान देश तो है ही साथ ही यह ऋषि प्रधान देश भी रहा है आज भी है।* श्रीमती मंजू चौहान द्वारा प्रस्तुत एकल *गीत सर पे हिमालय का छत्र है चरणों में नदियां एकत्र है* की प्रस्तुति के बाद श्री रमेश शुक्ल ने वैद मंत्रों का वाचन किया । मुख्य वक्ता डॉ विनायक पाण्डे का व्याख्यान हुआ डॉ पाण्डे ने कहा कि *ऋषि का अर्चन करना ही रिसर्च है।* हमारे ऋषि मुनियो ने मानव कल्याण हेतु विभिन्न विषयो का अध्यन किया है। इसके उपरांत अध्यक्षीय उद्बोधन मे डॉ. चान्दनीवाला ने दिया।

*पुस्तक विमोचन* पुस्तक का नाम:-

"नयी कविता को रघुवीर सहाय का योगदान''

(शोध कृति)

लेखक:- डॉ शम्भूसिंह मनहर,

प्राध्यापक, शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, खरगोन, मध्यप्रदेश 

पुस्तक का नाम *विरासत के फूल* लेखक डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला 

 इसके पश्चात श्री सुन्दरलाल मालवीय एवं उनकी टीम ने सुन्दर भजनों की प्रस्तुति दी । आभार श्री देवेन्द्र भादव्या ने माना संचालन श्री मुकेश कौशल ने किया।

इस अवसर पर विशेषरूप से सर्व सर्वश्री इन्दरलाल कैलोत्रा, कवि शशिकांत यादव, साहित्यकार डॉ.शम्भु सिंह मनहर, श्रीकुमारन् नायर, शेखर चौधरी, सुमित जोशी, प्रथमेश कौशल, नवीन पंवार, मुकेश सोलंकी, मुकेेश मेहरा, कबीर भजन गायक रंजीत अखण्ड, रमेश देशवाली, श्रीमती रंजीता कौशल, श्रीमती आरती श्रीमती राजश्री, श्रीमती बबीता आदि उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम मे सरकार द्वारा जारी कोविड 19 के सभी निर्देशो का पालन किया गया।







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