शिव के दरबार में शिव भक्त रावण का दहन नहीं किया जाता पुरानी परंपरा का निर्वाह राज परिवार आज भी कर रहा
ओकारेश्वर. ओकारेश्वर में शिवभक्त भक्त रावण का दहन नहीं किया जाता ओकारेश्वर मे राजा मांघाता के वंशज ओंकारेश्वर शासक ( राजा ) चल रही परंपराओं का निर्वहन करते हुए वर्ष में मात्र एक दिन बैठते हैं गाड़ी पर ओमकारेश्वर राजा मांधाता की नगरी में आज भी पुरानी परंपराओं का निर्वाह नगरवासी एवं राज परिवार के वंशज करते चले आ रहे हैं नवरात्रि में नौ दिनों तक राज परिवार की कुलदेवी आशापुरी मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना के लिए राजपरिवार पहुंचता है नवरात्रि समापन के बाद दशहरा मिलन समारोह की परंपरा के अनुसार ज्योतिर्लिंग भगवान ओमकारेश्वर की पालकी शोभा यात्रा के साथ श्रीजी ज्योतिर्लिंग मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारी नगरवासी एवं प्रबंध ट्रस्टी राज परिवार के सदस्यों के साथ राजा राव पुष्पेंद्र सिंह ओंकार पर्वत के पास स्थित अति प्राचीन हनुमान मंदिर एवं प्राचीन स्थान पर जाकर पूजा अर्चना एवं विजयदशमी का पर्व मनाते हैं पश्चात राजा मांधाता का आलीशान राजमहल जो ओंकार पर्वत पर स्थित है वहां स्थित परिवार की गाड़ी पर वर्ष में एक बार वर्तमान शासक राजा बैठकर तोपों की सलामी दी जाती है उसी के तहत विजयदशमी के अवसर पर राजा पुष्पेंद्र सिंह गाड़ी पर बैठकर परंपरा का निर्वाह किया पश्चात गणमान्य नागरिक जन प्रतिनिधियों की मौजूदगी में दशहरा मिलन समारोह मना कर भक्तों को प्रजा को श्रीफल देकर सम्मानित किया गया
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