फर्जी डॉक्टरों के कारण पीथमपुर में कभी भी हो सकता है कोरोना विस्फोट

भारत ही नहीं, एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में कभी भी कोरोना विस्फोट हो सकता है. इसके लिए यूं तो बहुत से कारण है पर मुख्य कारण बनेगा यहां पर 300 से ज्यादा संख्या में बेरोकटोक और बिना किसी सरकारी डर के फर्जी डॉक्टरों के क्लीनिक का संचालन होना.


आज अगर कोई भी पीथमपुर के किसी भी क्षेत्र में जाता है तो उसे इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं होता है कि कोरोना जैसी महामारी देश में चल रही है. कारण है, ना तो लोग सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं ना ही मास्क लगाए हुए दिखते हैं. उल्टा बाजारों में और दुकानों पर भीड़ इस तरह से टूटी रहती है जैसे कहीं कोई खतरा ही नहीं है.



पर इससे भी बड़ा खतरा है वे फर्जी डॉक्टर जिन्हें बंगाली डॉक्टर भी कहा जाता है. ये फर्जी इसलिए हैं क्योंकि इनके पास ना तो कोई डिग्री होती है, ना ही इनका किसी तरह का पंजीयन होता है जैसा बाकी डॉक्टरों का होता है. 


 ऐसी बंगाली डॉक्टरो की नेम प्लेट पर जहां उनके नाम लिखे रहते हैं, वहां ऐसी मेडिकल डिग्रीस के नाम लिखे रहते हैं जिनका नाम किसी भी डॉक्टर या समझदार इंसान ने कहीं भी सुना होगा. ऐसी डिग्रियों के नाम लिखने के पीछे भी इनका कारण यह रहता है कि इनका मुख्य उद्देश्य है लोगों को बेवकूफ बनाकर इलाज के नाम पर उनसे पैसे ऐंठना, चाहे इसमे उन भोले भाले लोगों की जान ही क्यों न चली जाए. 



 यूं तो इस तरह के बंगाली डॉक्टरों या फर्जी डॉक्टरों को रोकना जिला व स्थानीय प्रशासन का काम है पर क्योंकि यह एक टेक्निकल कार्य है, इसलिए इसकी जिम्मेदारी सीएमएचओ से लेकर बीएमओ तक की अधिक बनती है. क्योंकि डॉक्टरों या चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े सारे मुद्दों पर इन्हीं अधिकारियों को कार्यवाही करनी चाहिए या फिर जिला प्रशासन को अवगत कराना चाहिए जिससे इनके विरुद्ध व्यवस्थित कार्यवाही हो सके. पर ऐसा देखने में आता है कि पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में 300 से भी अधिक फर्जी या बंगाली डॉक्टर हैं पर कार्यवाही के नाम पर कभी कभार एक या दो डॉक्टरों की क्लीनिक पर छापा मारा जाता है और मीडिया में बढ़ा चढ़ाकर दिखा दिया जाता है की कार्यवाही हुई है. जबकि सच्चाई यह रहती है कि छापे के मुश्किल से 1 महीने के अंदर वही डॉक्टर फिर से अपना कार्य शुरू कर देता है और लोग उसके पास इलाज के लिए आने भी लग जाते हैं. 


 इस बारे में जब भी बीएमओ डॉक्टर अरोड़ा से बात की तो उन्होंने कहा कि उनका विभाग लगातार कार्यवाही करता है और ऐसे लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाता है पर वास्तविकता पर नजर डाली जाए तो ऐसा नहीं होता है. 


इस खबर के माध्यम से जिया न्यूज़ अखबार अपने पाठकों को और पीथमपुर के नागरिकों को यह आगाह करना चाहता है कि अगर संबंधित व जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो वे इसके लिए आंदोलन चलाएं और जिला प्रशासन से लेकर क्षेत्र के व प्रदेश के नेतृत्व को भी अवगत कराएं जिससे इन बंगाली डॉक्टरों के खिलाफ व्यवस्थित कार्रवाई हो सके. अगर ऐसा नहीं हुआ तो इन्हीं डॉक्टरों के कारण कोरोना विस्फोट होने के पूरे पूरे आसार हैं. 



 


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